🌹 इन्दु लग्न (INDU LAGN) 🌹
( आर्थिक जीवन स्तर का पैमाना ) ::---
( The Golden Ruls of Classical Hindu Vedic jyotish)
जन्म पत्रिका में इन्दु लग्न के विश्लेषण द्वारा जातक के आर्थिक जीवन स्तर , धन सम्पदा का स्तर , आर्थिक उन्नति का समय , प्रमोशन और आर्थिक समृद्धि के उच्चतम स्तर को जाँचा जाता है।
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🌼 इन्दु लग्न को धन लग्न भी कहा जाता है ।
जन्म कुण्डली में इन्दु लग्न से जन्म पत्रिका के विश्लेषण द्वारा हम जातक की आर्थिक उपलब्धियां, धन की स्थिति , ऐश्वर्य और आर्थिक जीवन स्तर को जाँच भी सकते है और आर्थिक उन्नति के समय की गणना भी कर सकते है कि कौनसा समय विशेष जातक के जीवन में विशेष रूप से धन दायक और आर्थिक रूप से विशेष उन्नति का होगा तथा क्या जातक अपने जीवन काल में आर्थिक रूप से धन धान्य की पराकाष्ठा को छू पायेगा ।
🌹 इन्दु लग्न की गणना की विधि::--
इन्दु लग्न की गणना में राहु और केतु को सम्मलित नहीं किया जाता । राहु - केतु के अतिरिक्त अन्य सातो ग्रहों को सम्मलित किया गया है।
इन्दु लग्न की गणना हेतु प्रत्येक ग्रह के अंक निर्धारित किये जाते है जिन्हें ग्रहो की कलाएँ अथवा रश्मियां कहते है
जो निन्म प्रकार है ::---
🌹 ग्रह कलाएँ
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सूर्य 30
चंद्रमा 16
मंगल 06
बुध 08
बृहस्पति 10
शुक्र 12
शनि 01
🌹🌼 इन्दु लग्न निर्धारण :--
जन्म पत्रिका में चंदमा (चंद्र लग्न) एवं लग्न दोनों से नवम स्थान (नवमेश) के स्वामियों की कलाओं को जोड़ा जाता है और योगफल में 12 से भाग दिया जाता है ।
जो शेषफल आएगा उतने घर(भाव) आगे हम जन्म पत्रिका में स्थित चंद्रमा (चंद्र राशि ) से गिनते है । और वही भाव इन्दु लग्न होगा ।
यदि 12 से भाग देने पर शेषफल शून्य आता है तो चंद्र राशि ही इन्दु लग्न होगी ।और यदि योगफल 12 से कम आया तो हम उस संख्या (कम संख्या) को चंदमा (चाँद लग्न) से आगे गिनकर इन्दु लग्न को निर्धारित करते है ।
🌼 उदाहरण :- माना कि कन्या लग्न की कुंडली में चंद्रमा धनु राशि में स्थित है
तो लग्न से नवम स्थान का स्वामी( नवमेश) शुक्र होगा और चंद्रमा से नवम राशि सिंह आएगी जिसका स्वामी सूर्य होगा
अतः शुक्र की कलाएँ -12 , और सूर्य की कलाएँ - 30 , का योग = 12 + 30 = 42 होता है
नियमानुसार चूँकि 42 योगफल 12 से अधिक है अतः 12 से भाग देने पर (42 ÷12) शेष 42 - 36 = शेषफल 6 आता है ।
अब हम शेषफल को जन्म पत्रिका में स्थित चंद्रमा (चंद्र लग्न) से आगे गिनेंगे तो हमें वृष राशि प्राप्ति होगी
🌼 अतः वृष राशि ही " इन्दु लग्न" होगी ।
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🌹🌹 इन्दु लग्न से फलों का विश्लेषण ::----
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🌹 इन्दु लग्न में बैठे सभी शुभ ग्रह एवं लग्नेश , अपनी दशाओं में आर्थिक उन्नति देते है
🌹 लग्न और लग्नेश से सम्बन्ध बनाने वाले शुभ और अशुभ ग्रह अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के परिणाम सम्मलित रूप से देते है
🌹 इन्दु लग्न से द्वितीय , नवम , दशम ,एकादश भावेशों का आपसी सम्बन्ध स्थाई रूप से धन दायक और आर्थिक धन धान्य में वृद्धि करता है।
🌹 कुण्डली में उपस्थित उच्च राशि , स्व राशि , मूल त्रिकोण राशि में बैठे शुभ ग्रह जीवन में तीव्र और स्थाई आर्थिक उन्नति देते है।
🌹 कुण्डली में स्थित अशुभ ग्रह भी यदि उच्च राशि या अपने मूल त्रिकोण अंशों पर हों तो वे भी अपनी दशा के अंत में आर्थिक उन्नति देते है।
🌹 इन्दु लग्न में योगकारक शुभ ग्रहो से दृष्टि युती संबंधित भाव / भावेश भी आर्थिक रूप से जीवन को उन्नति देते है
☑ 🌹🌼 इन्दु लग्न में किसी भी ग्रह के विशेष अंशो पर स्थिति और ग्रहो का गोचर बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। जो जातक की आर्थिक उपलब्धियों में आधार शिला होता है।
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