▶️ शनि की साढ़ेसाती शुभ और आशुभ फल कब देता है
फलदीपिका में मंत्रेश्वर कहते हैं कि जन्म चन्द्रमा से द्वादश भाव में शनि का गोचर व्यापार में कोई लाभ नहीं देता है तथा शत्रुओं के उपद्रवों और भार्या एवं सन्तान के रोगग्रस्त होने के कारण धन हानि देता है ।
➡️ क्या साढ़े साती का समय वास्तव में भयानक होता है ?
पारम्परिक ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार “ अष्टम ” शनि के अतिरिक्त , साढ़े साती का समय सबसे अधिक भंयकर होता है और इसके पक्ष में निम्नलिखित उदाहरण देते
1. जब 30 जनवरी 1948 को महात्मा गान्धी की हत्या हुई उस समय उनकी साढ़े साती चल रही थी ।
2. श्रीमति इन्दिरा गान्धी ने अपनी प्रथम साढ़े साती के समय माता हो । खोया था तथा द्वितीय साढ़े साती के समय अपने पति और पिता को खोया था । यद्यपि इसी साढ़े साती के समय वह स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमण्डल में मंत्री बनी थीं ।
▶️ इसके विपरीत ,
1 . जवाहर लाल नेहरु जब 1947 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे उस समय शनि , कर्क राशि में ही गोचर कर रहा था , अर्थात नेहरु का साढ़े साती का समय चल रहा था ।
2.श्रीमति इन्दिरा गान्धी जब जनवरी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनी उस समय उनका भी उनका साढ़े साती का समय चल रहा था । •
3.साढ़े साती का समय श्री मोरारजी देसाई के लिए बड़ा भाग्यशाली सिद्ध हुआ था । द्वितीय साढ़े साती के समय वह महाराष्ट्र की सरकार में मंत्री बने और तीसरी साढ़े साती में भारत के प्रधानमंत्री बने ।
➡️ कब देता है शनि साढेशाती शुभ फल
1】 उस समय की महादशा और अन्तर्दशा शुभ हों ।
2】यदि सर्वाष्टक वर्ग में चन्द्रमा से विचारणीय तीनों भावों अर्थात द्वादश , प्रथम एवं द्वितीय में 30 से अधिक शुभ बिन्दु हों तो शनि के इस गोचर के परिणाम अतिशुभ होंगे ।
3】यदि अपने भिन्नाष्टक वर्ग में इन तीनों भावों में शनि अधिकतम शुभ बिन्दु प्राप्त करता है तो इन भावों में शनि के गोचर का परिणाम अशुभ नहीं हो सकता है ।
4】यदि इन तीनों भावों में शनि अपनी राशि अथवा मित्र की राशियों में गोचर करता है तो परिणाम अशुभ नहीं हो सकते हैं।
5】चन्द्रमा के आस - पास के नक्षत्रों को देखिये । यदि ये शुभ हैं तो साढ़े साती का परिणाम अशुभ नहीं हो सकता है ।
6】अन्य ग्रहों की दृष्टियों के प्रभाव का भी विचार करना चाहिए । शुभ ग्रहों की दृष्टि अच्छे परिणाम और अशुभ ग्रहों की दृष्टि बुरे परिणाम देती है ।
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