#दुआ_बददुआ_और_कुंडली_का_दूसरा_घर
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आपने देखा होगा कि कई बार किसी व्यक्ति ने अनजाने में कुछ अच्छा या बुरा बोल दिया और वह सच हो गया | आखिर ऐसा क्यों होता है ?
दूसरा घर है आपकी बोलबाणी का
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कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की बोल बाणी का है | व्यक्ति की आवाज, बोलने का ढंग या लहजा कैसा है यह दूसरे घर से पता लगाया जा सकता है |
*कुछ लोग जुबान के पक्के होते हैं तो उसके लिए उनके दूसरे घर में बैठा सूर्य उन्हें ऐसा बनाता है |
*कुछ लोग बहुत ही मधुर बोलते हैं तो शुक्र का शुभ प्रभाव उन्हें कुछ बुरा बोलने ही नहीं देता |
*कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके मुंह से कभी तारीफ़ या शुभ वाणी निकलती ही नहीं तो दुसरे घर के स्वामी का नीच राशि में पाया जाना उसका एक कारण होता है |
*जो लोग गाली गलौच अधिक करते हैं या दूसरों को कोसते रहते हैं या जिनकी जुबान गन्दी होती है वे दूसरे घर के राहू के प्रभाव से ऐसे होते हैं | उनके जीवन में कड़वाहट किसी न किसी रूप में हर दिन सामने आती है |
*यदि दूसरे घर के राहू पर शनि या मंगल की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति का दिया हुआ श्राप भी सच हो जाता है |
दुआ और बददुआ
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दूसरे घर पर शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आशीर्वाद और शाप देने की शक्ति मिलती है |
जब हम शुभ कर्म करते हैं तो हमें आशीर्वाद देने की शक्ति प्राप्त होती है | यदि आपने अपने जीवन में किसी के लिए कुछ किया है, किसी की दुआएं ली हैं तो आप जब भी किसी के लिए दुआ करेंगे वह फलीभूत होगी |
यदि आप नियमित पूजा पाठ करते हैं, परोपकार का कोई न कोई काम आप करते रहते हैं और लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं तो आपके ये संचित कर्म आपके एक न एक दिन काम आयेंगे | ये संचित कर्म आपकी जमा पूँजी हैं जिन्हें आपको हर जगह खर्च नहीं करना है | आपके संचित कर्म खर्च होते हैं जब आप किसी को आशीर्वाद देते हैं |
इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके संचित कर्म नष्ट भी होते हैं जब आप किसी की निंदा करते हैं | किसी को गाली देना, निंदा या चुगली करना या आपके मुंह से निकले वाक्य से किसी को नुक्सान पहुँचने पर आपके संचित कर्म नष्ट होते हैं |
आइये संकल्प लें कि प्रतिदिन कुछ ऐसा करना है जिससे दूसरों को लाभ पहुंचे | किसी की निंदा करने की आदत छोड़कर हम यदि परोपकार के उद्देश्य से अपना कर्म करेंगे तो निस्संदेह हम अपने कर्मों को संचित कर पायेंगे |
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