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Friday, November 18, 2016

Vastu and north east direction

*पूर्व दिशा के दोष और वास्तु निदान*

वास्तु शास्त्र के अनुसार इशान कोण (उत्तर - पूर्व ), पूर्व मध्य तथा आग्नेय ( दक्षिण - पूर्व ) को हल्का और निचा होना चाहिये....

वास्तु शास्त्र के अनुसार चार मुख्य दिशावो में उत्तर और पूर्व हल्का और निचा होना चाहिये ....वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर और पूर्व को शुद्ध और पवित्र दिशा माना गया है ,ब्रम्हांड की सकारात्मक उर्जा पूर्व तथा उत्तर से ही घर के अंदर
प्रवेश करती है .....

चूँकि हमें हमारे मानसिक तथा शारीरिक विकास के लिए जरुरी ज्यादातर ऊर्जा का भंडार हमें इन्ही दिशावों से मिलता है, इसलिए यदि घर / कार्यालय में यहाँ दोष का मतलब बहुत ही बुरा माना जाता है ......
वैसे तो इस दिशा के सभी दोषो तथा उनका निवारण बताना असम्भव सा है , पर फिर भी ज्यादातर दोष तथा उसका निवारण का प्रयास करता हुँ .......

*वास्तु - दोष*

१. इशान कोण ( उत्तर - पूर्व ) :-
जो कि वास्तु देव के सर का भाग होता है .... वहाँ यदि कोई भी भारी सामान , गन्दगी , घर में सबसे ऊँचा होना, सेप्टिक टैंक का होना, कोई बड़ा पेड़, बिजली का खम्बा, अग्नि का स्थान, कोई बड़ा खम्बा, गन्दा नाला आदि वास्तु - दोष के रूप में आते है .....

२. पूर्व मध्य :-
यह वास्तु देव कि दाहिनी भुजा का स्थान है ....... यह तो आप जानते ही है, कि यदि किसी मनुष्य कि दाहिनी भुजा में यदि कोई तकलीफ या असुविधा हो तो वह कुछ भी कार्य करने में समर्थ हो जाता है, यहाँ के दोष भी ज्यादातर इशान कोण वाले होते है ..... चूँकि शास्त्रो के अनुशार यह देवतावों के राजा इंद्र का स्थान है, इसलिए यह सेप्टिक टैंक को गलती से भी न बनवाये या यहाँ से पैखाने के नाले का निकष कभी न करें ......

३. आग्नेय ( दक्षिण - पूर्व ) :-
वास्तु शास्त्र के अनुसार यह अग्नि स्थान है..... इस दिशा के गृह शुक्र है, जो ( असुरो के )गुरु भी माने जाते है, इस स्थान में यदि हम अग्नि से बिपरीत जल स्थान बनते है, तो सबसे बड़ा दोष माना जाता है......

*दोष निदान*

सरवप्रथम तो यह जान ले, कि यदि कोई दोष हो तो उसका निदान सिर्फ ओर सिर्फ उस को हटाना है..... पर चूँकि आजके समय यह हम सबके बस में नहीं होता... क्योंकि जयदातर सहरी निवाशी फ्लैट में रहते है और कुछ जगह न्यायिक विषंगतियां भी होती है .. पर फिर भी श्रेस्ठ यही है कि आप उन दोषो को हटाये या जगह बदल ले.... यदि नहीं कर रहे हों, तो ज्यादा से ज्यादा बदलाव ला कर यह आजमाएं

१. इशान कोण ( उत्तर - पूर्व ) :-
शास्त्रो के अनुसार इस दिशा के दिक्पाल स्वयं भगवान शिव है, जिनका अस्त्र त्रिशूल है, ग्रह - गुरु ( देवतावों के ) है..... आप इनका पूजन करें तथा यहाँ जल स्थान बनवाएं और कम से कम गंदगी तो बिलकुल न रखें... घर के इस कोने में एक दूधिया रंग का बल्ब जलाये ,यदि हों सके तो वह बल्ब २४ घंटे जलाये .... इस जगह कि दीवाल का रंग पिला या उसके नजदीक का करवा ले ........ भगवान शिव तथा गुरु कि पूजा ईएसएस घर में अत्यं आवश्यक है .....

२. पूर्व मध्य :-
शास्त्रो के अनुसार इस दिशा के दिक्पाल स्वयं देवतावों के राजा इंद्र है, जिनका अस्त्र वज्र है, ग्रह समस्त पृथ्वी के जीवन का श्रोत सूर्य है..... आप इनका पूजन करें तथा यहाँ जल स्थान बनवाएं और घर कि इस दीवाल में बड़ी बड़ी ज्यादा खिड़किया लगवाये ..... यहाँ भी एक दूधिया बल्ब मैंने बहुत सी जगह लगवा कर अच्छे परिणाम देखे है .... इस दीवाल पर एक चांदी कि ९ इंच गोल वाली सूर्य प्रतिमा लाल रंग ( या उसके आसपास का ) करवा कर दीवाल में टांगे तथा कोशिश करें कि परिवार के सभी सदश्य रोज उसका मानसिक पूजन करें .....

३. आग्नेय ( दक्षिण - पूर्व ) :-
शास्त्रो के अनुसार इस दिशा के दिक्पाल स्वयं अग्निदेव है, जिनका अस्त्र शक्ति है, ग्रह समस्त भौतिक सुखो को देनेवाले शुक्र है, साथ ही साथ ये गुरु ( असुरो के ) भी है ..... आप इनका पूजन करें तथा यहाँ रसोई बनवाएं ... घर के इस कोने में एक लाल रंग का बल्ब जलाये ,यदि हों सके तो वह बल्ब २४ घंटे जलाये.... यदि आप हीरे के व्यव्सायी है, तो इस कोण में कही भी दोष न होने दे ......

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