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Friday, December 9, 2016

5th house and child astrology

।।स्त्री पुरुष में सन्तानोत्पत्ति क्षमता।।

संतान प्राप्ति के संबंध में सर्वप्रथम स्त्री एवम् पुरुष दोनो की सन्तानोत्पत्ति  क्षमता का विचार करना आवश्यक है ।जिस प्रकार फसल उत्पादन के लिए नमी व उपजाऊ भूमि तथा उत्तम बीज आवश्यक हैं उसी प्रकार स्त्री की कोख को भूमि (क्षेत्र) तथा पुरुष की उत्पादन क्षमता को "बीज" माना जाता है।भूमि और बीज दोनो ही उत्तम हों तो भरपूर फसल होती है परंतु इसके विपरीत भूमि उपजाऊ हो और बीज दोषपूर्ण हो अथवा भूमि अनुपजाऊ हो और बीज उत्तम हो तो बीज का अंकुरण संभव नहीं । इस संबंध में पुरुष में बीज व स्त्री में क्षेत्र की उपयुक्तता को जांचने हेतु प्राचीन ऋषि महर्षियों ने सूत्र प्रतिपादित किया है।

स्त्री का क्षेत्र-
स्त्री के लिए चंद्र गर्भधारण शक्ति एवं आर्द्र भूमि का परिचायक  है ।मंगल रक्त का परिचायक है तथा गुरू संतान प्रदायक है।उपरोक्त तीनो ग्रहों  के
राश्यंशो को जोड़ना है तथा उसी का नवमांश निकाल लें।प्राप्त राश्यंश तथा नवांश सम राशि तथा सम नवांश मे हो तो स्त्री की प्रजनन क्षमता उत्तम होती है।राशि और नवांश में से एक सम तथा एक विषम होने पर मध्यम तथा राशि और नवांश दोनो विषम होने पर स्त्री में प्रजनन क्षमता का अभाव होता है।

पुरुष का बीज-
पुरुषों के लिए सूर्य शक्ति अथवा ओज का , शुक्र वीर्य शुक्राणुओं का तथा गुरु संतान का कारक है उपर्युक्त विधि से तीनों के राश्यंशो का योग करके राशि तथा नवमांश निकाले ।प्राप्त राशि व नवांश दोनो विषम संज्ञक में पड़े तो पुरुष के वीर्य में संतानोत्पादक क्षमता उत्तम होती है।एक विषम व एक सम मे होने पर मध्यम तथा दोनों सम में होने पर संतानोत्पादक क्षमता का अभाव होता है।

जन्म कुंडली में शुक्र जिस स्थान पर बैठा हो उससे छठे आठवें स्थान पर शनि हो तो प्रजनन क्षमता की कमी रहती है किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो इस समस्या से बचाव होता है

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