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Friday, December 9, 2016

विवाह मुहूर्त विचार


विवाह मुहूर्त विचार
विवाह के माह
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वृश्चिक के सूर्य में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से कार्तिक में ,मार्गशीष में ,मकर के सूर्य में पोष तथा माघ में ,कुम्भ के सूर्य में फाल्गुन में ,मेष के सूर्य में चैत्र एवम वैशाख ,ज्येष्ठ और आषाढ़ शुक्ल पक्ष दशमी तक वृषभ मिथुन के सूर्य में विवाह /लग्न करने चाहिए
अन्य आचार्यो के मत अनुसार धनु के सूर्य में मार्गशीर्ष में तथा मीन के सूर्य में फाल्गुन में विवाह कहे गए हे ..यह धनार्क ,मिनार्क समय में गुजरात ,सौराष्ट्र ,कच्छ प्रान्त में विवाह नही लिए जाते और महाराष्ट्र में मार्गशीर्ष ,माघ ,फाल्गुन,वैशाख और ज्येष्ठ माह में विवाह मुहूर्त दिए जाते हे
दक्षिण में धनिष्ठा नवक(वैशाख कृष्ण पक्ष में धनिष्ठा नक्षत्र में चन्द्र प्रवेश से रोहिणी नक्षत्र तन ९ दिन मड़ा पंचक आता हे )प्रवेश से निवृति तक अन्य होलाष्टक में मुहूर्त नही देते
परन्तु खास कर गुरु और शुक्र के अस्त जितने दिन का हो उतने दिन विवाह कार्य के लिए निषिद्ध हे
प्रथम गर्भ से उत्पन्न लड़का जयेष्ठ कहा गया हे और प्रथम गर्भ से उत्पन्न लड़की जयेष्ठा अत:ज्येष्ठ माह में ज्येष्ठ लड़का और लड़की का विवाह नही करना चाहिए

विवाह में वार तिथि
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विवाह मुहूर्त में सभी वार ग्राह्य हे तिथि में कृष्ण पक्ष १३,१४,अमावस्या ,शुक्लपक्ष की प्रतिपदा वर्ज्य हे रिक्त तिथि (४,९,१४ )तिथियो में सामान्य शुभ कार्य त्याज्य होते हे पर विवाह मुहूर्त में माध्यम फलदायक हे अत:रिक्ता तिथि वर्ज्य करनेका कोई कारन नही हे क्षय वृद्धि तिथि त्याज्य हे

विवाह नक्षत्र 

रोहिणी ,मृगशीर्ष ,मघा ,ऊ.फा,हस्त,स्वाति,अनुराधा,मूल,ऊ.षाढा,ऊ.भाद्र,तथा रेवती यह ग्यारह और
अन्य मत अनुसार अश्विनी,चित्रा,श्रवण,धनिष्ठा,यह पन्द्रह नक्षत्र योग्य हे
खास कर क्रूर नक्षत्र में गृह हो एवं जिस नक्षत्र में ग्रहण हुआ हो वह नक्षत्र त्याज्य हे
विष्कुभादी योगो में अशुभ योगो का काल त्याज्य हे
विष्टि,शकुनी ,चतुष्पद ,नाग,और किस्तुघ्न यह पांच करण त्याज्य हे

दिन शुद्धि
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तिथि,वार,नक्षत्र के दोष से होने वाले दघ्ध योग ,मृत्यु,यमघंट,काल्मुखी जेसे अशुभ योग विवाहादि कार्यो में त्याज्य नही हे
सूर्य ,चन्द्र और लग्न तथा नवमांश शुध्धि हो तो शास्त्र नियम अनुसार कोई भी दोष मानने का कारण नही हे गुरु/शुक्र लोप पूर्वे वार्द्यक्य तिन दिन ,एवं दर्शन के बाद बाल्यावस्था के तिन दिन त्याज्य हे

.नक्षत्र दोष अपवाद

मृग,ऊ.फा,चित्रा,ऊ.षाढा,धनिष्ठा,विवाह में यह दो राशि वाले नक्षत्र हे इस नक्षत्र में या कोई दो राशि वाले नक्षत्र में क्रूर गृह हो यद्यपि राशि भिन्न हो तो उस राशी नक्षत्र का भाग लेने में हरकत नही हे ,पाप गृह भुक्त और पाप गृह भोग्य नक्षत्र पर से चन्द्र,सूर्य कोई भी शुभ गृह एक बार पसार हो जाने के बाद उसका दोष हल्का बनता हे

विवाह समय कुंडली लग्न  शुद्धि
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सूर्य ३,६,८ भाव ,चन्द्र २,३,४ भाव मंगल ३,६ भाव गुरु ८,१२ भाव को छोड़कर शुक्र १,२,४,५,९,१० भाव शनि,राहू ,केतु ३,६,८ भाव में शुभ हे ११ भाव में हरेक गृह शुभ हे कोई भी लग्न स्वीकार्य हे सिर्फ नवमांश लग्न शुभ होना चाहिए

अशुभ योग
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लग्न में सूर्य ,१,८,१० भाव में चन्द्र मंगल,अष्टमभाव में शुक्र ,लग्न में शनि राहू केतु ,लग्नेश ६,८ भाव में शुभ नहीं हे सप्तम भाव में कोई भी गृह अशुभ हे ,राहू चतुर्थ भाव और बुध १० भाव में हो तो नही लेना चाहिए

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