पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर,
ध्यान करने से,ध्यान जल्दी लगता है, विचार नहीं आने पाते।
क्योकिं पीपल में वायु तत्व है।
पाकरि(जामुन) के वृक्ष में जप करने से मन्त्र सिद्धि होती है, क्योकिं उसमे अग्नि तत्व रहता है। दीप जलाने की आवश्यकता नहीं होती, मन्त्र करने के बाद मन्त्र की आहुति देने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
आम के नीचे बैठकर मानसिक पूजा व नाम स्मरण से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। मन शांत रहता है, क्योकिं उसमे जल तत्व है। बरगद के नीचे बैठ कर, कथा
करने से, वह सुनने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, रोग नष्ट होते है, क्योकिं बरगद में पृथ्वी तत्व विद्यमान रहता है। स्त्री का गर्भ
एकादश भाव है, यही तपोवन है। बालक गर्भ में तप ही करता है, ईश्वर के सानिंध्य में रहता है।
नित्य ईश्वर के दर्शन करता है।
जब गर्भ अवस्था से बाहर आता है तो, ईश्वर से उसका संपर्क टूटता है, वह रोता है, बिलखता है।इस भूमि पर जन्म लेते ही सब कुछ भूल जाता है, यही माया है, जो माया को भूल कर
काया बनाने वाले का ध्यान करता रहे तो, उस व्यक्ति का जीवन धन्य होता है। लेकिन मुर्ख इंसान निन्यन्यान्वे के चक्कर में सब कुछ भूल जाता है। समय पूरा होने के बाद, सुख
दुःख के इस पिंजरे में बन्द, पुनः
ईश्वर से मिलने की तड़फन बनती है, वह पुनः माँ के गर्भ में
ईश्वर से मुलाक़ात होती है।
यही जीवन है। इस जी= जीव ने
संसार में भोग को महत्व दिया।
अगर जिसने। भोग को छोड़ कर
जी वन को महत्व दिया होता तो यही ईश्वर की प्राप्ति होती।
Sunday, December 4, 2016
Meditation and Plants
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