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Thursday, December 8, 2016

कुंडली के केंद्र भाव में ग्रह स्थिति का विवेचन

कुंडली के केंद्र भाव में ग्रह स्थिति का विवेचन

कुंडली में केंद्र स्थान किसी भी व्यक्ति के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है. कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को केंद्र भाव माना गया है. सामान्यत: यदि इन चारों भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो व्यक्ति धनवान होता है. वहीं केंद्र में उच्च के पाप ग्रह बैठे हो तो व्यक्ति बहुत धनवान होने पर भी गरीब हो सकता है. अगर केंद्र में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली को शुभ नहीं माना जाता है. ऐसा व्यक्ति जीवन में कर्ज से हमेशा परेशान रहता है.
1. सूर्य के केंद्र में होने से व्यक्ति सरकारी नौकरी करने वाला होता है.
2. चंद्रमा केंद्र में हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है.
3. मंगल केंद्र में हो तो व्यक्ति सेना की नौकरी करने वाला होता है.
4. बुध के केंद्र में होने से व्यक्ति अध्यापक होता है.
5. गुरु के केंद्र में होने से व्यक्ति ज्ञानी एवं धर्मकर्म के कार्य करने वाला होता है.
6. शुक्र के केंद्र में होने पर धनवान तथा विद्यावान होता है.
7. शनि के केंद्र में होने से व्यक्ति लोगों की सेवा करने वाला होता है.
नोट-
यह योग केंद्र स्थित ग्रहों की सामान्य जानकारी प्रस्तुत करते हैं. उक्त योगो को कुंडली के अन्य ग्रह भी प्रभावित कर सकते है।
*घर में कलह का कारण - शुक्र व शनि की युति* -
ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि व्यक्ति का ऐसा स्वभाव उनकी कुण्डली में मौजूद ग्रहों की कुछ खास स्थितियों के कारण होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुण्डली में शनि और शुक्र एक साथ एक घर में होते हैं उनके वैवाहिक जीवन में कलह की संभावना अधिक रहती है.
इसका कारण यह है कि व्यक्ति का दूसरी स्त्रियों में रुझान रहता है. शुक्र अगर मंगल की राशि में बैठा हो तब तो परायी स्त्री से निकटता की संभावना काफी ज्यादा रहती है. जोकि घर में कलह का मुख्य कारण बनता है.
यह शुक्र व शनि की युति का सामान्य नियम है. कुंडली के अन्य शुभ या अशुभ योग परिणाम के प्रतिशत को घटा या बढा सकते हैं.
*कुंडली में सशक्त शुक्र और भौतिक सुख* -
हमारी कुंडली में 12 घर 12 राशियां और 9 ग्रह होते हैं, वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारे जीवन की हर छोटी से छोटी घटना इन 12 घरों 12 राशियों और 9 ग्रहों से जुड़ी होती हैं. प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा रहती है कि असका जीवन सुखपूर्ण रहे, उसे जिंदगी में कभी किसी चीज की कमी न रहे. किसी को तो यह सुविधा जन्मजात ही नसीब होती है, किसी को मेहनत से प्राप्त होती है और किसी को प्राप्त ही नही होती हैं. यह सब व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति सुनिश्चित करती है.
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है. ग्रह मंडल में शुक्र को मंत्री पद प्राप्त है. यदि कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ प्रभाव देने वाला होता है तो व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में हर भौतिक सुख की प्राप्ति होती है. शुक्र के विशेष प्रभाव से वह जीवनभर सुखी रहता है.
शुक्र लग्र द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम, एकादश और द्वादश भाव में स्थित हो तो धन, सम्पत्ति और सुखों के लिए अत्यंत शुभ फलदायक है. सशक्त शुक्र अष्टम भाव में भी अच्छा फल प्रदान करता है. चतुर्थ स्थान में शुक्र बलवान होता है. इसमें अन्य ग्रह अशुभ भी हों तो भी जीवन साधारणत: सुखकारी होता है।
सप्तम भाव में शुक्र की स्थिति विवाह के बाद भाग्योदय की सूचक है. परंतु शुक्र पर मंगल का प्रभाव नही होना चाहिए. अन्यथा ऐसा शुक्र जातक के जीवन को अनैतिक बना देता है. इसी प्रकार शुक्र पर शनि का प्रभाव जीवन में निराशा व वैवाहिक जीवन में कलह की स्थिति उत्पन्न कर देता है.

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