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Wednesday, December 21, 2016

Gadant Constellation, Jyeshta, Mool, Ashwini Constellation Remedy for child

मूल नक्षत्र एवं उनके चरणों के प्रभाव
अश्विनी
प्रथम चरण --पिता को कष्ट व भय
द्वितीय चरण ---परिवार में सुख एवं ऐश्वर्या
त्रितय चरण ---सरकार से लाभ एवं मंत्री पद की प्राप्ति
चतुर्थ चरण ---परिवार को राज सम्मान व जातक को ख्याति
मघा
प्रथम चरण ---माता को कष्ट
द्वितीय ----पिता को भय
तृतीय ---परिवार में सुख
चतुर्थ ---जातक को धन विद्या का लाभ

ज्येष्ठा
प्रथम चरण ---बड़े भाई को कष्ट
द्वितीय ---छोटे भाई को कष्ट
तृतीय ---माता को कष्ट
चतुर्थ ---स्वयं का नाश
मूल नक्षत्र
प्रथम चरण ---पिता को कष्ट
द्वितीय --माता को कष्ट
तृतीय --धन नाश
चतुर्थ---सुख शांति आएगी
आश्लेषा नक्षत्र
प्रथम चरण ---शांति और सुख आएगा
द्वितीय ---धन नाश
तृतीय ---मातरिकष्ट
चतुर्थ--पिता को कष्ट

रेवती नक्षत्र
प्रथम चरण ---राजकीय सम्मान
द्वितीय ----माता पिता को कष्ट
तृतीय ---धन व आश्वर्य की प्राप्ति
चतुर्थ---परिवार में अनेक कष्ट

मूलों का शुभ या अशुभ प्रभाव आठ वर्ष की आयु तक ही होता है
इस से उपर आयु वाले जातकों के लिए मूल शांति व उपचार की आवश्यकता नहीं है



Which Nakashtra your child born ?
 मूल नक्षत्र शांति और उपाय शास्त्रों की मान्यता है कि संधि क्षेत्र हमेशा नाजुक और अशुभ होते हैं।
 जैसे मार्ग संधि (चौराहे-तिराहे), दिन-रात का संधि काल, ऋतु, लग्न और ग्रह के संधि स्थल आदि को शुभ नहीं मानते हैं। इसी प्रकार गंड-मूल नक्षत्र भी संधि क्षेत्र में आने से नाजुक और दुष्परिणाम देने वाले होते हैं । शास्त्रों के अनुसार इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के सुखमय भविष्य के लिए इन नक्षत्रों की शांति जरूरी है।
 मूल शांति कराने से इनके कारण लगने वाले दोष शांत हो जाते हैं।
 क्या हैं गंड मूल नक्षत्र राशि चक्र में ऎसी तीन स्थितियां होती हैं, जब राशि और नक्षत्र दोनों एक साथ समाप्त होते हैं।  यह स्थिति "गंड नक्षत्र" कहलाती है।

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