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Friday, July 8, 2016

छठे भाव से आजीविका का विचार Sixth House and Your career and Profession

छठे भाव से आजीविका का विचार Sixth House and Your career and Profession


छठा भाव ( Sixth House) त्रिक भावों में से एक भाव है. 6,8 व 12 वें भाव को त्रिक भावों के नाम से जाना जाता है. तथा त्रिक भावों को शुभ भाव नहीं कहा जाता है. इन भावों का संबन्ध जिन भी ग्रहों व भावेशों से बनता है उनकी शुभता में कमी आती है.

छठे भाव को रोग भाव( Deases House ), ऋण ( Loan House ) व सेवा भाव ( Service House) के नाम से भी जाना जाता है. (The sixth house is the house of diseases, loan and service)व्यक्ति के शत्रु भी इसी भाव से देखे जाते है. यह भाव उपचय भावों (upchay House) में भी शामिल किया गया है.

इसके अलावा छठा भाव अर्थ भाव ( दूसरा, छठा व दशम भाव) भी है. इस भाव पर गुरु की दृ्ष्टि व्यक्ति को जीवन में अर्थ की कमी नहीं होने देती. इस प्रकार इस भाव की भूमिका को आजीविका के क्षेत्र में कम नहीं समझना चाहिए.

एक अन्य मत के अनुसार इस भाव से एसे सभी कार्य जो अधिक मेहनत से पूरे होते है, कर्मचारी, सेवक आदि का विचार इस भाव से करना चाहिए. इस भाव में शुभ ग्रहों का एक साथ स्थित होना, व्यक्ति को सेवा कार्यो में सदभाव व स्नेह का भाव देता है.

ऋण भाव ( Loan House )
इसके विपरीत यह ऋण का भाव भी है. आजीविका के कार्यो को पूर्ण करने के लिये तथा इसका विस्तार करने के लिये ऋण लेने की स्थिति आती ही रहती है. किसी व्यक्ति के लिये ऋण लेना सरल होगा या नहीं, इसका विचार करने के लिये इस भाव में अगर शुभ ग्रह स्थित हों तो ऋण लेने में बाधाएं आती है. अन्यथा यह सरलता से प्राप्त हो जाता है.

इस भाव के स्वामी का अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति के रोग ग्रस्त होने की संभावनाएं बढ जाती है.(The position of inauspicious planet in this house may cause the person health problems) इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को बिमारियां शीघ्र होने की संभावनाएं बनाता है.

षष्ट भाव में अशुभ ग्रह (inauspicious planet in the sixth house)
जब कुण्डली के छठे भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों तो व्यक्ति की आजीविका में बाधाएं देते है. इस योग के फलों को देखते समय इन अशुभ ग्रहों पर शुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं होना चाहिए. इस भाव में चन्द्र या शुक्र की स्थिति होने पर व्यक्ति अस्पताल या होटल से संबन्धित क्षेत्रों में आजीविका प्राप्त कर सफल हो रहा होता है.(Position of Moon or Venus in this house give the person success in the business of hotels or restaurants)

यह भाव अस्पताल का भाव है. सूर्य या राहू अशुभ ग्रह होकर व्यक्ति को चिकित्सक बनने की योग्यताएं देते है. चिकित्सा भाव से जुडे के लिये व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र का नीच राशि में होना इस योग में वृ्द्धि करता है. छठे भाव से मंगल का संबन्ध व्यक्ति को सेना या पुलिस के क्षेत्र में काम करने के अवसर देता है. इस भाव से जब शनि का संबन्ध बनता है. तो व्यक्ति को न्याय के क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं रहती है.

छठे भाव की राशियां (signs of the sixth house)
जब छठे भाव में हिंसक राशियां अर्थात (1,2,8,11 वीं राशि ) हों, तथा इस भाव में एक से अधिक पाप ग्रह एक-दूसरे से निकटतम अंशों पर स्थित हों तो व्यक्ति को नौकरी से निकाले जाने का योग बनता है. इस प्रकार बनने वाले अन्य योग(If the violent or malefic signs i.e. 1, 2, 8, 11 signs or more than one inauspicious planet are placed together in the nearest degrees the person may get terminated from his job)

केतु व शनि निकटतम अंशों के साथ छठे भाव में स्थित हों तो भी उपरोक्त योग बनता है. एक अन्य मत के अनुसार इस भाव में मंगल, शनि, राहू व केतु आजीविका क्षेत्र में परेशानियां देते है. इस भाव में चन्द्र व्यक्ति के मन को कठोर बनाता है. अर्थात इस भाव में चन्द्र होने पर व्यक्ति शीघ्र विचलित नहीं होता है. फिर भी चन्द्र की शुभता देखने के लिये उसका पक्ष बल भी अवश्य देख लेना चाहिए.

छठे भाव में पीडित मंगल (Malefic Mars in the sixth house)
जब कुण्डली में मंगल पीडित होकर स्थित हों तथा लग्न भाव में अपनी राशि से दृष्टि संबन्ध बना रहे हों, तो व्यक्ति पुलिस विभाग में या अन्य किसी विभाग में अनितिपूर्ण तरीके से धन कमाने का प्रयास करता है. अष्टम का मंगल तीसरे भाव में अपनी राशि को देखे उसे बली कर रहा हों तब भी व्यक्ति के पुलिस विभाग में गलत तरीके से धन प्राप्त करने के योग बनते है.

इस भाव में मंगल व चन्द्र का सम्बन्ध व्यक्ति के सर्जन बनने की योग्यता देता है. (the relationship of Mars or Moon with this house give the ability to become a surgeon)

वकालत के क्षेत्र में सफलता के योग (Yoga for success in the field of law)
जब कुण्डली में छठा भाव, तीसरा भाव व नवम भाव बली हो तथा इन भावों से मंगल व शनि का संबन्ध होने पर व्यक्ति अपने पराक्रम के बल पर कानून के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है. इस भाव में शनि बली अवस्था में हों तो व्यक्ति को व्यापार के स्थान पर नौकरी करना अधिक पसन्द होता है. (The strong position of Saturn in this house increase the interest of the person in job rather than a business) शनि नौकरी या सेवा के कारक ग्रह है. वे जब कुण्डली में सुस्थिर होकर स्थित हों तो व्यक्ति अपने सभी काम स्वयं करना पसन्द करता है.

Scource : http://astrobix.com/hindi/384-sixth-house-and-your-career.aspx

विदेश में नौकरी और आजीविका (Vedic astrology and livelihood from a job in a foreign country)

विदेश में नौकरी एवं आजीविका की चाहत आज के युवाओं की पहली पसंद बन गई है. ऊँची डिग्रियां लेने के बाद ख्वाहिश यही होती है कि वह विदेश जाकर खूब कमाएं. लेकिन, विदेश जाने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एवं योग यह तय करते हैं कि वह विदेश जाएगा या नहीं. अगर विदेश यात्रा के योग बलशाली नहीं हैं तो व्यक्ति के विदेश जाने की संभावना कम रहती है. जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग कमज़ोर होते हैं उन्हें विदेश में वह सफलता नहीं मिलती है जिनकी ख्वाहिश वह रखते हैं.

विदेश में जाकर धन कमाने के योग (Yogas for job in a foreign country)
ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है. कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं. ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है (The lord of the second house gives migration to foreign land if it is in the twelfth house). यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है.

कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेष यात्रा का योग बनता है. पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है. भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है.

चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो (A moveable sign placed in the fourth or the 12th house and conjunction of Moon and Sun in the tenth house) और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है. आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है. इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है.

विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये. इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में बनता है तो विदेश जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदेश में आप धन कमा सकते हैं.

विदेश यात्रा योग का फल (Judging the result of the yoga for foreign travel)
कुण्डली में विदेश यात्रा के योग होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको विदेश जाने का अवसर मिलेगा. इस विषय में ज्योतिषीयों का मत है कि योग अगर कमज़ोर हैं तो विदेश में आजीविका की संभावना कम रहती है इस स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपने ही देश में नौकरी अथवा कोई व्यवसाय करे.

Source : http://astrobix.com/hindi/339-job-in-a-foreign-country.aspx