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Sunday, October 28, 2018

Job change is possible within India or abroad as per astrology


CHANGE IN JOB:IN  SINGAPORE OR IN INDIA

Wife of this male native approached me  on 28/10/2018  to  know about her husband's job change .
"Can u say where  JOB change will be possible :within SINGAPORE or any chance in  INDIA"
The birth details are as follows:

DOB-11/04/1978
TOB-09:20 AM
POJ-HARDOI(UP)

As native already changed his job previously and currently   doing  his job in SINGAPORE,so I check  direct DASA/BHUKTI/ANTARA instead of confirmation of 10th sub. .

He is running under Jupiter dasa/mercury bhukti till 05/10/2020.

DASA Jupiter signifies as follows:

Planet Ju+: 1; 8
Starlord of Ju is Ma: 2; 7
Sublord of Ju is Mo:
Starlord of Mo is Su: 11; Cnj Me(11, 5)

Jupiter signifies 2,11 houses to get new job,1-5 houses indicate change in job,5-7 houses shows job at abroad.

Bhukti mercury signifies as follows:

Planet Me*: 11; 5; Cnj Su(11)
Starlord of Me is Me*: 11; 5; Cnj Su(11)
Sublord of Me is Sa:
Starlord of Sa is Ke: 10; Sgl Ju(1, 8); Stl Sa(3, 9); Asp 5; Cnj 11

mercury signifies 10.11 houses which shows to get new job and 3,5,9 houses shows change in job possible within this bhukti period And 3,9 shows abroad .

current antara  ketu running which I eliminate due to fixed ascendant.
and choose mars antara who signifies as follows:

Planet Ma:
Starlord of Ma is Sa: 3; 9
Sublord of Ma is Me*: 11; 5; Cnj Su(11)
Starlord of Me is Me*: 11; 5; Cnj Su(11)
mars signifies 3,5,9  houses  and 11 th houses which shows favourable for job change and for abroad connection.
and signification of 6 th house is shown on moon sooksma moon signifies as follows

Planet Mo:
Starlord of Mo is Su: 11; Cnj Me(11, 5)
Sublord of Mo is Ve*: 11; 6
Starlord of Ve is Ve*: 11; 6
moon signifies 6,11 houses indicatoe for getting new job and 5 shows change in job.

this period is 01/10/2019 to 05/10/2019 and Dasa,bhukti ,antara signifies change in job possible in Singapore only,no chance in INDIA.

Astrology Prediction on Rajasthan assembly election 2018

Rajasthan_assembly_election_2018

The legislative assembly election in the indian state of Rajasthan are scheduled to be held on 7-12-2018 to elect members of the Rajasthan Legislative Assembly.

In the last election in 2013, BJP had won a majority.

So now question is...Will BJP come again in power in Rajasthan ......????

#H_No : 41
#Date_of_judgement   : 25-10-2018
#Time_of_judgement  : 16:42:05Pm
#Place_of_judgement : Ludhiana(Pb)
(30N54-75E51)

#BJP

#6th_CSL Jup is in own star & in rahu sub.

Jup(6)
Jup(6)
Ra(2), aspect by jup(6) & ma(9)-12
Star sat(7)-10

Jup signify 2,6,10th bhavas with negative 7,9,12th

#11th_CSL Rahu is in Saturn star & in mercury sub.

Ra(2), aspected by jup(6) & ma(9)-12
Sat(7)-10
Me(6){csl 7}, conjoined with su(5)-4 & ve(5)-1{csl 8,12}

Rahu signify 2,6,10th bahavs with negative 4,5,7,8,9,12th

#10th_CSL Saturn is in ketu star & in own sub.

Sat(7)-10
Ke(8), conjoined ma(9)-12{cstl 1}
Sat(7)-10
Star ke

Sat signify 1,10th with negative bhavas 7,8,9,12th.

#INC

#6th_CSL Mercury is in Jupiter star & in venus sub.

Me(11){csl 6,7,12}
Jup(11)-4
Ve(10)-6,7 & conjoined with me(11){csl 6,7,12}
star rahu(8) & aspected by jup(11) & ma(2)-12{csl 4,8}

Mercury strongly signify 2,6,10,11th bhavas with negative bhavas 4,7,12th

#11th_CSL Saturn is in ketu star & in own sub.

Sat(1)-3
Ke(2), conjoined with ma(2)-12{csl 4,8}
Sat(1)-3

Saturn signify 1,2,3rd with negative bhavas 4,8,12th.

Jupiter signify 1,3,6th bhavas with negative 4,7,8,12th.

#10th_CSL Rahu is in Saturn star & in mercury sub.

Ra(8), aspected by jup(11)-4

#10th_CSL Rahu is in Saturn star & in Saturn sub.

Ra(8), aspected by jup(11)-4 & ma(3)-6 & ma(2)-12{csl 4,8}
Sat(1)-3
Me(11){csl 6,7,12}
Star jup(11)

Rahu strongly signify 1,2,3,6,11th bhavas

So my opinion : In this assembly election #INC should "Win".

Now question is how much seats congress can win....?

Am select 8 category for INC.

1. 50 - 60
2. 60-70
3. 70-80
4. 80-90
5. 90-100
6. 100-110
7. 110-120
8. 120-130

Ruling planets at the time of judgement
Lagna : jup-me
Moon. : Ma-ve
Day      : jup

Total = 69

(1). Devide it by option 8 reminder come 5

(2). Total 69 comes at 6(6+9=15=1+5=6)

So we get to portion 5 or 6

Now INC will get either 90-10 or 100-110

Jupiter has come in our ruling 2 times so INC will get seats from 100-110.

INDU LAGNA (ascendant) and Vedic Astrology

🌹 इन्दु लग्न  (INDU LAGN) 🌹
    ( आर्थिक जीवन स्तर का पैमाना ) ::---

( The Golden Ruls of Classical Hindu Vedic jyotish)

जन्म पत्रिका में इन्दु लग्न  के विश्लेषण द्वारा जातक के आर्थिक जीवन स्तर , धन सम्पदा का स्तर , आर्थिक उन्नति का समय , प्रमोशन और आर्थिक समृद्धि के उच्चतम स्तर को जाँचा जाता है।
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🌼 इन्दु लग्न को धन लग्न भी कहा जाता है ।
जन्म कुण्डली में इन्दु लग्न से जन्म पत्रिका के विश्लेषण द्वारा हम जातक की आर्थिक उपलब्धियां,  धन की स्थिति , ऐश्वर्य और आर्थिक जीवन स्तर को जाँच भी सकते है और  आर्थिक उन्नति के समय की गणना भी कर सकते है कि कौनसा समय विशेष जातक के जीवन में विशेष रूप से धन दायक और आर्थिक रूप से विशेष उन्नति का होगा  तथा क्या जातक अपने जीवन काल में  आर्थिक रूप से धन धान्य की पराकाष्ठा को छू पायेगा ।

🌹 इन्दु लग्न की गणना की विधि::--

इन्दु लग्न की गणना में राहु और केतु को सम्मलित नहीं किया जाता । राहु - केतु के अतिरिक्त अन्य सातो ग्रहों को सम्मलित किया गया है।

इन्दु लग्न की गणना हेतु प्रत्येक ग्रह के अंक निर्धारित किये जाते है जिन्हें ग्रहो की कलाएँ अथवा रश्मियां कहते है
जो निन्म प्रकार है ::---

🌹 ग्रह               कलाएँ
    -----               ---------
    सूर्य                30
    चंद्रमा             16          
    मंगल              06
    बुध                08
    बृहस्पति         10
    शुक्र               12
    शनि               01

🌹🌼  इन्दु लग्न निर्धारण :--

जन्म पत्रिका में चंदमा (चंद्र लग्न) एवं लग्न दोनों से नवम स्थान (नवमेश) के स्वामियों की कलाओं को जोड़ा जाता है  और योगफल में 12 से भाग दिया जाता है ।

जो शेषफल आएगा  उतने घर(भाव) आगे हम जन्म पत्रिका में स्थित चंद्रमा (चंद्र राशि ) से गिनते है । और वही भाव इन्दु लग्न होगा ।

यदि  12 से भाग देने पर शेषफल शून्य आता है तो चंद्र राशि ही इन्दु लग्न होगी ।और यदि योगफल 12 से कम आया तो  हम उस संख्या (कम संख्या) को  चंदमा (चाँद लग्न) से आगे  गिनकर इन्दु लग्न को निर्धारित करते है ।

🌼 उदाहरण :- माना कि  कन्या लग्न की कुंडली में  चंद्रमा धनु राशि में स्थित है
तो लग्न से नवम स्थान का स्वामी( नवमेश) शुक्र होगा और चंद्रमा से नवम राशि  सिंह  आएगी जिसका  स्वामी सूर्य होगा
अतः शुक्र की कलाएँ -12 , और सूर्य की कलाएँ - 30 , का योग = 12 + 30 = 42 होता है
नियमानुसार  चूँकि 42 योगफल 12 से अधिक है अतः 12 से भाग देने पर  (42 ÷12) शेष  42 - 36 = शेषफल  6 आता है । 

अब हम शेषफल को जन्म पत्रिका में स्थित चंद्रमा  (चंद्र लग्न) से आगे गिनेंगे  तो हमें  वृष  राशि प्राप्ति होगी

🌼 अतः वृष  राशि ही " इन्दु  लग्न" होगी ।
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🌹🌹    इन्दु लग्न से फलों का विश्लेषण ::----
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🌹 इन्दु लग्न में बैठे सभी  शुभ ग्रह  एवं लग्नेश ,  अपनी दशाओं में  आर्थिक उन्नति देते है

🌹 लग्न और लग्नेश से सम्बन्ध बनाने वाले शुभ और अशुभ ग्रह अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के परिणाम सम्मलित रूप से देते है

🌹 इन्दु लग्न से द्वितीय , नवम , दशम ,एकादश  भावेशों का आपसी सम्बन्ध स्थाई रूप से धन दायक और आर्थिक धन धान्य में वृद्धि करता है।

🌹 कुण्डली में उपस्थित उच्च राशि , स्व राशि , मूल त्रिकोण राशि में बैठे शुभ ग्रह  जीवन में तीव्र और स्थाई आर्थिक उन्नति देते है।

🌹 कुण्डली में स्थित अशुभ ग्रह भी यदि उच्च राशि या अपने मूल त्रिकोण अंशों पर हों तो वे भी  अपनी दशा के अंत में आर्थिक उन्नति देते है।

🌹 इन्दु लग्न में योगकारक शुभ ग्रहो से दृष्टि युती संबंधित भाव / भावेश भी आर्थिक रूप से जीवन को उन्नति देते है

☑ 🌹🌼 इन्दु लग्न में  किसी भी ग्रह के विशेष अंशो पर स्थिति और ग्रहो का गोचर बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। जो जातक की आर्थिक उपलब्धियों में आधार शिला  होता है।

Birth Time Rectification as KP Astrology


कृष्‍णमुर्ती पध्‍दती में जन्मसमय की पध्‍दती की जानकारी सब को है लेकिन कस्‍पल इंटरलिंक्‍स थियरी पे उप उप नक्षत्रस्‍वामी का संबंध कैसे लग्‍नभाव से, नवम भाव से , चंद्र नक्षत्र से, जातक के बाद जन्‍मे हुए उनके छोटै भाई बहेन के जन्‍म के अनुसार तृतीय भाव तथा ऐसे कई बातों पर निर्भर है । इसकी जानकारी सब के हेतू मैं दे रहा हूँ ।
      यह जानकारी हमारे बुजूर्ग विदवान गुरुजी श्री दयाकृष्‍ण गुप्‍ताजी ने इंग्‍लीश में दी है इसका मैंने अनुवाद किया है । मुझे आशा है की आप इस जानकारी को सही तरीके से इस्‍तेमाल करेंगे और बिनचूक जन्‍मसमय शुध्‍दीकरण करेंगे ।
पाठ क्र. 15 भाग 1
दिनांक 10 ऑक्‍टोबर 2016

जन्म समय शुध्‍दीकरण किसलिए  यह आवश्यक है और यह कैसे किया जा सकता है।
भाग 1।

दया कृष्ण गुप्ता मैं पाठकों को जो केपी सिस्टम से क्या कुछ अलग रूप में मैं उप उप सिद्धांत पर काम कर रहा हूँ के लिए अपने विचार देने के लिए पसंद कर सकते हैं। सबसे पहले तो यह बड़ा सवाल जन्म समय क्या है। इतने संस्करणों जन्म के समय के बारे में इतने किंवदंती ज्योतिषियों द्वारा दिया जाता है। मेरे विचार में, यह या तो जब आत्मा शरीर के कब्जे या जब जातक  अपनी पहली सांस लेता है। उनमें से कोई भी किसी भी नही देखा जा सकता है । अपने को जो समय दिया जाता है वह समय हॉस्‍पीटल से दिया हुआ होता है । आपका पता ही है की, जन्म दर प्रति बच्चा 3 सेकंड में जन्‍म लेता  है, और हर बच्‍चे का अपना एक विशिष्‍ठ नशीब रहता है । इसी प्रकार से एक विशिष्‍ठ कुंडली प्रत्‍येक  जातक के लिए बनाना यह बात किसी के लिए संभव नही है । 
     जो भी समय दिया गया है उसी समय के आधार पर कुंडली बनवाईये । पेहली बात यह देखना है की, जातक स्‍त्री है या पुरुष है यह पता लगाईये और उसके बाद दिया गया जन्‍मसमय के अनुसार पूर्व क्षितीज पर कौनसी राशी लग्‍न भाव में उदित हो रही है । ऐसे यह निश्चित करना चाहिए । यह जो कुंडली बनायी गयी है वह उस जातक के जन्‍म देनेवाले पिता की गोचर कुंडली है और यह देखना है की, यह गोचर संतती जन्‍म के लिए जातक के जन्‍मसमय में सभी अटी और शर्तीओं का पालन कर रहा है नही ?
     अगर ऐसा नही है तो इस को शुध्‍द करना चाहिए।
     अब यह समय आता है की लग्‍न भाव के उप उप नक्षत्रस्‍वामी का चंद्र के नक्षत्रस्‍वामी से संबंध होना चाहिए क्‍यों की चंद्र का नक्षत्रस्‍वामी ही महत्‍वपूर्ण भूमिका लेता है घटना घ्‍ज्ञटने के समय के लिए ।
    अब उस जातक का वंश पारंपारिक संबंध की जॉंच करना चाहिए इस में माता, पिता, बडे भाई, छोटे भाई वगैरे और अगर जातक विवाहित है तो उस के लडके या फिर लडकी । उस के लिए जन्‍मसमय में छोटा बदल भी करना पडता है ।
    अब उस जातक की जीवन में घटी हुई कई घटनाओं का संबंध देखना चाहिए । इस में दादा, दादी, माता पिता का मृत्‍यू की तारीख और कई बार जातक की भी मृत्‍यू होगयी हो तो उसकी तारीख का भी जॉंच करना चाहिए।  ईसी प्रकार कुंडली के 123 भावों के साथ घटनेवाले घटनाओं का दशाकाल से समर्थना होना चाहिए । उसके बाद ही कह सकते है की जन्‍मसमय की शुध्‍दी सेकंद / मिलि सेकंद तक अचूक है ।
  

पाठ क्र.  15. (भाग 2)
दिनांक 11 ऑक्‍टोबर 2016

निम्नलिखित मुख्य शर्तों का पालन किया जाना पड़ता है नीचे के रूप में कर रहे हैं:

1. सब से पेहले लग्‍न भाव का उप उप नक्षत्रस्‍वामी का चंद्र के नक्षत्रस्‍वामी से संबंध निश्चित करना है ।

2. लग्‍न भाव के उप उप नक्षत्रस्‍वामी का आर्च प्रमाण पुरुष और स्‍त्री जातक के लिए कैसेट निश्चित करे द्य

3..लग्‍नभाव का शुध्‍दीकरण के लिए आवश्‍यक शर्त और अन्‍य भावों का भी निश्चिती के लिए आवश्‍यक शर्ते

(1) वंशपरंपरागत शर्तों का मिलान
(2) जीवन के और कई पैलुओं के साथ प्रॉमीसेस वादा
(3) जीवन के भूतकाल में घटी कई महत्‍वपूर्ण घटनाओं की जॉंच

पाठ क्र. 15 भाग 3 Dated.12.10.2016
(1) लग्‍न भाव का उप उप नक्षत्रस्‍वामी चंद्र के नक्षत्रस्‍वामी के साथ संबंध कैसा निश्चित करे

1. लग्‍न भाव के उप उप नक्षत्रस्‍वामी स्‍वयं चंद्र के नक्षत्रस्‍वामी होना चाहिए
2. लग्‍न भाव के नक्षत्रस्‍वामी, उपनक्षत्रस्‍वामी या उप उप नक्षत्रस्‍वामी के उप उप नक्षत्रस्‍वामी चंद्र के नक्षतस्‍वामी होना चाहिए 
3.  चंद्रमा के नक्षत्रस्‍वामी लग्‍न भाव का नक्षत्रस्‍वामी, उपनक्षत्रस्‍वामी या उप उप नक्षत्रस्‍वामी होना चाहिए ।
.

पाठ 15 भाग 4 
दिनांक 13 ऑक्‍टोबर 2016

2) कैसे एक पुरुष और महिला के लिए कुंडली मे उप उप नक्षत्रस्‍वामी का आर्च कैसे निश्चित करे

i) सबसे पहले जातक  द्वारा दिए गए डिटेल के अनुसार कुंडली बनाते हैं। जातक पुरुष है या स्‍त्री जातक है .
2 )  अब देखते हैं कि पूर्व क्षितीज पर कौनसी राशी का लग्‍न उदित हो रहा है ।  क्या यह एक पुरुष या स्त्री राशि राशि है।
iii) अगर लग्‍न के उदित होने वाली राशी नर राशि है और कुंडली पुरुष जातक की है, तो लग्‍न का आर्च 50 टक्‍के से कम होना चाहिए ।
iv) अगर लग्‍न के उदित होने वाली राशी पुरुष राशी है और जातक स्‍त्री है तो लग्‍नभाव का आर्च 50 टक्‍के से जादा रखीये
v) अगर लग्‍न मे उदीत राशी स्‍त्री राशी है और जातक भी स्‍त्रिी है तो लग्‍न भाव का आर्च 50 टक्‍के से कम रखीये ।
vi) अगर लग्‍न मे उदीत राशी स्‍त्री राशी है और जातक पुरुष है तो लग्‍न भव का आर्च 50% से अधिक रखा जाएगा।

पाठ क्र. 15 भाग 5
दिनांक 14 ऑक्‍टोबर 2016 
(3) एक सही चार्ट के लिए आवश्यक शर्तों और अन्य भावों के लिए शर्ते
..
दिए गए जानकारी के अनुसार बनाया जातक की कुंडली याने की उस जातक के जन्‍मदिन का गोचर कुंडली है । इस प्रकार यह कहा जाता है कि जब वहाँ अपने पिता के चार्ट में एक बच्चे के जन्म के लिए एक वादा संभावना  है, तो ग्रहों की एक उपयोगी ग्रहों का गोचर होता है और पिता उसके जन्म के समय पर संतती का जहन्‍म हेाता है ।  इसी प्रकार से तयार किया गया कुंडली में नवम भाव से  जातक का पिता देखा जाता है । संतती का जन्‍म के लिए पिता के कुंडली में 2, 5 और 11 का कार्येशत्‍व का संबंेध होना चाहिए । और यह भाव जातक के कुंडली से याने की लग्‍नभाव से 1, 7 और 10 वे होते है । इसीप्रकार सभी ग्रह लग्‍न भाव के राशी स्‍वामी, नक्षत्रस्‍वामी, उपनक्षत्रस्‍वामी, उप उप नक्षत्रस्‍वामी का उसके नक्षत्रस्‍वामी के अनुसार  10 या 1 या 7 वे भाव से संबंध होनाही चाहिए और उपनक्षत्रस्‍वामी के अनुसार अन्‍य भावों का भी समर्थन होना चाहिए । इसी तरह सभी ग्रहों सह चंद्रमा के भी राशीस्‍वामी, नक्षत्रस्‍वामी, उपनक्षत्रस्‍वाूमी तथा उप उप नक्षत्रस्‍वामी भी 1,7 के साथ 10 भावों से संबंध होना चाहिए


पाठ क्र. 15 भाग 6
दिनांक 13 ऑक्‍टोबर 2016
(1) वंशपरंपरागत संबंधों का मिलन ;;

वंश परंपरागत संबंधोका मिलना इसका अर्थ यह है की, जातक के कुंडली के संबंधित भावों का जातक के बडे भाई, बहन, उसके लडका, लडकी, के अनुसार संबंध प्रस्‍थापित हो जाने चाहिए ।
उदाहरण के लिये
i) जातक के बाद जन्‍मे हुए भाई बहन का जन्म 3 भाव
ii) जातक की माता    चतुर्थ भाव ।
iii) जातक के पिता     नवम भाव ।
iv) जातक से बडा भाई  लाभस्‍थान
v) पुरुष के कुंडली में प्रथम संतती    5 वा भाव
vi) स्‍त्री के कुंडली में प्रथम संतती     11 वा भाव
vii) स्‍त्री के कुंडली में द्वितीय संतती   लग्‍नभाव
ix) पत्‍नी के लिए                   सप्‍तमभाव 


पाठ क्र. 15 भाग 7 दिनांक

जीवन के अन्य पहलुओं के साथ वादा किया है:

1. स्वास्थ्य और आयुर्दाय ।
2. शिक्षा।
3. नौकरी या व्यापार।
4. विवाह।
5.संतती ।
6. बीमारी
7. परदेशी स्‍थायीक होना,  नाम और प्रसिद्धि आदि

हम जानते हैं कि प्रत्येक भाव विशिष्ट कार्येशत्‍व दिखाता है । प्रत्‍येक भाव का उप उप नक्षत्रस्‍वामी जीवन की सभी प्रकार के प्रॉमीसेस वादाओं को समर्थन करना चाहिए।  इसलिए प्रत्‍येक भाव ने जीवन की सभी पहलुओं की अट पुर्ती करना चाहिए 

पाठ क्र. 15 भाग 8 दिनांक

जीवन का प्रमुख अतीत की घटनाओं का जॉंच पडताल ।

हम प्रत्येक घटनाओं के रूप में जानते हैं कि  वह घटना हैं ग्रहों की संयुक्त अवधि में होता है। अंत में सुक्ष्‍मदशास्‍वामी और प्राणदशास्‍वामी यह प्रमुख भाव और दुययम भावों के साथ जुडने चाहिए । इसप्रकार यह आवश्‍यक है की प्रत्‍येक घटना दशाकाल अधिपती से मिलना होना ही चाहिए ।  गोचरी के ग्रह यह घटना घटने के लिए बाध्‍य करते है और घटना घटने के लिए समर्थन करते है । इस के साथ ही रवी और चंद्र का भी गोचर द्वारा यह घटना दिखानी चाहिए । इस के लिए कई बार कई भावों के स्थिती में नगन्‍य बदल करना पडता है ।

ऊपर दिया हुआ प्रोसीजर पुरा होने के बाद यह कहा जा सकता है की जन्‍मसमय की शुध्‍दीकरण सही हो गयी है । 

     

Tuesday, October 23, 2018

Narendra Modi birth time rectification and Astrology Horoscope

शनी का वृश्चिक तथा धनू राशी में से जो भ्रमण हो रहा है उस के लिए बहोत लोगों के मन में बहोत सारी द्विधाये है ।

ऐसे ही किसी ग्रुप पर किसी ने श्री नरेंद्र मोदी भारत के पंतप्रधान की कुंडली में वृश्चिक लग्‍न वृश्चिक राशी होने के कारण शनी की आनेवाली ढय्या अच्‍छे नतिजे लायेगी ऐसा बयान किया था।

इसलिए इस बात में क्‍या सच्‍चाई है यह जानने के लिए पुरी शास्‍त्रीय तरीके से श्री नरेंद्र मोदी जी की कुंडलीी का जन्‍मसमय शुध्‍द किया और उस का ब्‍यौरा आप के जानकारी हेतू यहॉं दे दिया है।

Reported time of Narendra Modi PM of india was 17.09.1950 at 11.00.00 at Vadnagar Gujarat. which bearing Long. 072.40.e and Lat. 023.48.n

If we see that Lagna sub sub lord is Rahu.
If we go to the chandra star lord is Shani as Chandra is in Anuradha Nakshatra and when we see the corulers of Shani we find that Rahu is the sub lord of the Shani
It means Rahu the sub lord as wellas sub sub lord of the ascendent is correct. But Jataka is male and rising lagna sign is female. So the sub sub lord arch percenrtage should have to increase morfe than 50%
and thus correct time of birth is 11.00.48 i.e. hours,minutes, seconds

When we see the horoscope of Narendra Modi we find that Ascendent Vrishik lord Mangal. Mangal is in Lagna in the star of Jupiter in cusp kundli Magal goes in 12th cusp.  Chandra is in Anuradha Nakshatra bearing Long. i.e. 08..54.21 having corulers i.e. Sign lord Mangal, Star lord Anuradha Lord Shani, sub lord Venus and sub sub lord Mangal.

As Shri Modi is ?Running Chandra Dasa since 09.10.2011 and now He is under Chandra Dasa Budh Bhukti upto 08.01.2019 

Here we say Budh dasa is on means chandra from Lagna will be transverse in 3rd cusp as Shravan Nakshatra is in 3rd cusp. So like traditional KP dont use the constant significations of planets as it is on birthtime.

Here we will come to know how sub sub lord of the cusps having supremacy over the cuspal sub lords.

Every 3rd cusp from its own it is vridhikarak cusp.  and 4, 7, 8, 12 cusps from its own is very detrimental cusps for that particular cusp.  and 2, 6, and 10 these are the neutral cusps.

When we see the horoscope of Narendra Modi, Dasa lord Chandra is the sub lord of 4 and 12 and Chandra is not the cuspal sub sub lord of any cusp,  12th cusp is the 9th from 4th cusp and it is the very giagentic vridhikarak cusp for the matters of 4th cusp. 

Mercury is the sub lord of 8th cusp but Mercury itself is the sub sub lord of 6th cusp  8th cusp indicates sudden changes in life and as Mercury is also the sub sub lord of 6th cusp it means 6th cusp is 9th cusp from 8th cusp and it is very giagentic vridhikarak for 8th house matters i.e. for sudden changes, unexpected gains, etc.  The negativeness of 8th cusp will be warded off by the Mercury itself by having the sub sub lord of 6th cusp,.

Guru is tghe sub lord of 3 and 7th cusp. 7th cusp is 5th from the 3rd cusp so it is vridhikarak.  Guru is not the sub sub lord of any cusp.

Shukra is the sub lord of 2 and 11 and also the sub sub lord of 2, 9, 11, 12 .  Here we see that sub lordship of 2 and 11 will be prominently fixed by and agreed by sub sub lord ship of 2 and 11. apart from this added advantage is that 9th cuspal sub sub lord is also Shukra and also 9 and 12th cuspal sub sub lord it shows direct connection with tghe foreign countries delegations etc.

Saturn is not the cuspal sub lord of any cusp.  but the subsub lord of 5 and 7th  If we see at 5 and 7th these are 3-11 rfelation i.e. shows vridhi karak.

Rahu is the sublord of 1, 6, 9, 10 and also sub sub lord of 1, 4, 8, 10.  Here Rahu is lagna sub lord as well as lagna suib sub lord. It confirms the personality.
When we consider 6th cusp.  4th cuspal sub sub lord means it is 11th cusp from 6th cusp i.e. very giagentic vridhikarak sthan. 
When we consider 9th cusp sub lord and 8th cusp subsub lord it means opponents are loosing their enemity and they will fail to be improved communication etc. 
10th cuspal sub lord and 10th cuspal sub sublord it confirms that honour dignity status and everything will be available for him

Now if we see at Ketu is the sublord of 5th cusp. but Ketu is not the sub sub lord of any cusp.

So hereby we can conclude that correct birth time of Narendra Modi is not the 11.00.00 bnut 11 Hours 00 minutes 48 Seconds.

Now his nearing future

Chandra Dasa Budh Bhukti will be upto 08.01.2019

and we have already seen that Chandra is the sub sub lord of 4 and 12th. Here How chandra will offer the results  Any planet when transits in to the stars of chandra then that planet will become the transiting planet and Chandra irtself will become the Dasa Swami i.e. Nakshatra Swami and 4th 12th cuspal results will be obtained. 

Now Budh bhukti is going on and as we have seen thatg budh is the cuspal sub lord of 8th and sub sub lord of 6th means in this period there is always victory above the enemies.  etc.

Again in Budh bhukti if we go to individual Antara you will come to know that upto January 2019 Narendra Modi will flourish his personality and no competitior or enimy wil be present. 

There is no such bias confusion regarding Shani in Vrishik sign or in Dhanu sign for another 2 and half year. 

Because
When shani enters into the Dhanu it will go through the strs of Ketu and Ketu now is in the star of Mars accordingly results will be offered.  Likewise when it progresses in the star of Shukra etc. 

There is no such good or bad results of shani transits over Lagna and Chandra sign as Lagna sign is also the Chandra sign

Sunday, October 21, 2018

Gaja Kesari Yoga in all Ascendants

गजकेसरी योग

#ज्योतिष में  अनेक प्रकार के योगों का उल्लेख मिलता है। उसी में से एक योग है गजकेसरी योग। यह योग मूलतः बृहस्पति और चन्द्रमा के संयोग से बनता है। गज का अर्थ है हाथी और केसरी मतलब सिंह। जिस प्रकार से गज और सिंह में अपार साहस, शक्ति होती है उसी प्रकार से जन्मकुण्डली में गजकेसरी योग होने से व्यक्ति साहस व सूझबूझ के दम पर, उच्च पद व प्रतिष्ठा प्राप्त कर सामाज में सम्मानीय होता है #आज_हम_आपको कुण्डली की लग्न के अनुसार बनने वाले गजकेसरी योग के फल के बारें में बता रहें है ।

(1)मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल का गुरू व चन्द्रमा दोनों से सम्बन्ध अच्छा रहता है। इस राशि में गजकेसरी योग बनने से जातक साहसी व तर्कशील होता है। शत्रुओं पर विजय पाता है एंव वाद-विवाद में उसे महारथ हासिल होती है। गुरू महत्वाकांक्षा और राजनीति से जुड़ा ग्रह है, इसलिए मेष राशि वालों को गजकेसरी योग राजनीति में भी सफलता दिलाता है। आप कठोर निर्णय लेने में हिचकेंगे नहीं। धन की पर्याप्त मात्रा रहती है ।

(2)वृष
इस लग्न का स्वामी शुक्र होता है एंव चन्द्रमा तृतीयेश व गुरू अष्टमेश तथा लाभेश होता है। इस लग्न में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति को धार्मिक कार्याे में रूचि, स्वभाव में सह्रदयता, परोपकार की भावना मन में विद्यमान रहती है। गुरू अगर अच्छी स्थिति में अचानक धन का लाभ एंव भूमि आदि मिल सकती है। चन्द्रमा पराक्रमेश होने के कारण आप-अपने बलबूते पर सफलता प्राप्त करेंगे ।

(3)मिथुन
इस लग्न में चन्दमा द्वितीयेश है और गुरू सप्तमेश व दशमेश है। गुरू व चन्द्र की युति से बनने वाला गजकेसरी योग काफी लाभकारक सिद्ध होगा। ऐसे व्यक्ति दूसरों का हित करने वाले प्रतिभाशाली होते है। गुरू दशमेश होकर अगर अच्छी पोजीशन में बैठा है तो मिथुन लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग राजनीति के क्षेत्र में सफलता दिलाता है ।

(4) कर्क
जब कर्क लग्न की कुण्डली में गजकेसरी योग का निर्माण होता है तो जातक विद्वान होता है। ऐसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाता है, वहॉ लोकप्रिय हो जाता है। संस्कारों से जुड़े ऐसे जातक अपनों को साथ लेकर चलने में विश्वास करते है। ये लोग सत्य का साथ देने में विश्वास करते है। इनकी लगभग हर मनोकामनायें पूर्ण होती है।

(5)सिंह
सिंह लग्न की कुण्डली में बनने वाला गजकेसरी योग बहुत ही फलदायक होता है। यह योग सिंह के समान शक्ति देने वाला होता है। शत्रुओं का नाश करता है, राज सुख दिलाता है, जीवन के प्रति आशावाना बनाता है, घूमने-फिरने का शौकीन बनाता है, प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ाता है। इस लग्न में जन्में व्यक्तियों को संसार की आसुरी शक्तियों से लड़ने का जज्बा मिलता है।

(6)कन्या
इस लग्न में जन्में जातकों के लिए भी गजकेसरी योग लाभकारी सिद्ध होता है। जिनकी कुण्डलियों में गजकेसरी होता है, उनमें निर्भीकता, बौद्धिकता, साहस, धार्मिकता, सामाजिकता व न्यायप्रियता आदि होती है। गुरू चतुर्थेश व सप्तमेश होता है और चन्द्रमा लाभ भाव का मालिक होता है। जिस कारण कन्या लग्न में बनने वाले गजकेसरी योग का युवा अवस्था में फल मिलने की सम्भावना रहती है।

(7) तुला
तुला लग्न की कुण्डली में गुरू तृतीयेश व षष्ठेश होता है एंव चन्द्रमा दशम भाव का मालिक होता है। इसलिए इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग मिला-जुला फल देने वाला होता है। यह व्यक्ति अपने जन्म निवास दूर-दराज प्रदेश या विदेश में जाकर धन कमाता है। जातक स्वभाव से जिद्दी व तानाशाही प्रकृति का होता है।

(8) वृश्चिक
इस लग्न में गजकेसरी योग बनने से व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में कुशल होता है एवं अपनी जुबान का पक्का होता है। साहसी कार्यो में विजय हासिल करता है। ऐसे जातक पुलिस, मेडिकल, आर्मी, वायुसेना आदि क्षेत्रों में उॅचा मुकाम हासिल करता है। ये लोग अपनी सूझबूझ के कारण काफी चर्चित रहते है।

(9) धनु
धनु राशि का स्वामी गुरू ग्रह होता है। गजकेसरी योग में गुरू की अहम भूमिका होती है। अतः इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होता है, लेकिन यदि गुरू बलवान अवसथा में हो तभी पूर्ण फल मिल पायेगा। ऐसा व्यक्ति धार्मिक कार्यो में लिप्त रहने वाला होता है। शिक्षा के क्षेत्र में ये लोग अच्छी प्रगति करते है।

(10) मकर
मकर लग्न का स्वामी शनि ग्रह है। शनि और गुरू की आपस में अच्छी मित्रता है। जिस कारण इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग काफी फलदायक माना जाता है। शनि एक नाकारात्मक ग्रह है जिसका अधिक असर इस लग्न में रहता है। यदि इस लग्न की कुण्डली में शनि और गुरू दोनों बलवान है तो इस योग बेहतर फल मिलेगा अन्यथा सामान्य फल मिलेगा।

(11) कुम्भ
इस लग्न की कुण्डली में बनने वाले गजकेसरी योग का भी अच्छा फल मिलता है। यह भी शनि की राशि है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया वाली स्थिति बनी रहती है। मित्रों के सहयोग से बड़े कामों में सफलता मिलती है। सोंचे हुये कार्य पूर्ण होते है किन्तु समय लगता है।

(12)मीन
मीन राशि बृहस्पति की राशि है। इसलिए इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग सफलता दिलाने में पूरा सहयोग करता है। ऐसा व्यक्ति धर्म का जानकार होता है, शिक्षा देने वाला गुरू व सामाज की सेवा व एक सही मार्ग दिखाने वाला समाज सुधारक होता है। इस योग वाले व्यक्ति सम्मान व प्रतिष्ठा के भूखे रहते है। समाज की इनकी हर बात को काफी तवज्जो देता है ।

ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को अत्यन्त लाभकारी बताया गया है। इसके अनुसार कुंडली में यह योग बनने से जातक मालामाल हो जाता है। जातक को अपने जीवन में अद्वितीय सफलता मिलती है और उसका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाता है। बता दें कि कुंडली में गजकेसरी योग बृहस्तपति ग्रह की कृपा से बनता है।

इस प्रकार से जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की दशा सही होती है, उसके जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है। बृहस्पति को शत्रुओं का नाश करने वाला बताया गया है। ऐसे में बृहस्पति की कृपा से गजकेसरी योग बनने से व्यक्ति को उसके शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उसे समाज में सम्मान मिलता है।

बता दें कि गजकेसरी योग को सबसे प्रभावशाली राजयोग कहा जाता है। और यह योग उनकी कुंडली में बनता है जिनमें बृहस्पति की प्रधानता पाई जाती है। गजकेसरी योग तब बनता है, जब चंद्रमा और बृहस्पति दोनों एक-दूसरे के केन्द्र में होते हैं। इसके बनने से जातक को अनेकों लाभ मिलते हैं। लेकिन ऐसे जातकों को इस योग का लाभ लेने के लिए कुछ खास बातों पर ध्यान भी देना पड़ता है। ऐसे जातकों को अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए ।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में होने वाली तमाम बड़ी घटनाओं का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। इसलिए हम सभी को अपनी कुंडली के बृहस्पति ग्रह पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बता दें कि बृहस्पति को गुरु ग्रह भी कहा जाता है। इसका रंग पीला है और इसे धन से जुड़े कारकों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। बृहस्पति ग्रह का संबंध व्यक्ति की सेहत से भी है। बृहस्पति ग्रह की दशा खराब होने पर जातक को पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही व्यक्ति की उम्र भी घट सकती है ।