Google

Wednesday, June 7, 2017

Directional Aspects in Nadi Astrology

Directional Aspects:

In Nadi Astrology, Planets are supposed to have different aspects than Parashari Method, in which Full Aspects of Each Planet is given more weightage... like Saturn's 3rd, 7th and 10th aspects, Sun, Moon, Mercury, Venus' 7th aspect only, Jupiter has 5th, 7th and 9th aspects and Mars has 4th, 7th & 8th aspects mainly.

In Nadi Astrology, Aspect is considered from following measn:
1. Planets with in same Sign, also known as Yuti (Conjunction)
2. Planets in Adjacent Signs.
3. Planet/s in Opposite (i.e. 7th House/Sign) &
4. Planet/s Trine of 7th house i.e. 3rd & 11th Signs (Same Direction Signs). This also known as Direction based Aspect.

Some other aspects are seen used by few Astrologers.

I use Aspects as an "External Influence".. which may be from Planet/s with in same Sign or Other Sign/s. Important factor is to judge the Direction of Flow of Influence and its Strength.

Saturday, June 3, 2017

Elements and Astrology Sign

🌺
जल राशि
जल राशि के जातक असाधारण भावनात्मक और अति संवेदनशील लोग होते हैं। वे अत्यंत सहज होने के साथ ही समुद्र के समान रहस्यमयी भी हो सकते हैं। जल राशि की स्मृति तीक्ष्ण होती है और वे गहन वार्तालाप और अंतरंगता से प्यार करते है। वे खुले तौर पर अपनी आलोचना करते हैं और अपने प्रियजनों का समर्थन करने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। जल राशियाँ हैं: कर्क, वृश्चिकऔर मीन।

अग्नि राशि
अग्नि राशि के जातक भावुक, गतिशील और मनमौजी प्रवृति के होते हैं। उन्हें गुस्सा जल्दी आता है, लेकिन वे सरलता से माफ भी कर देते हैं। वे विशाल ऊर्जा के साथ साहसी होते हैं। वे शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं। अग्नि राशि के जातक हमेशा कार्रवाई के लिए तैयार, बुद्धिमान, स्वयं जागरूक, रचनात्मक और आदर्शवादी होते हैं। अग्नि राशियाँ हैं: मेष, सिंह और धनु।

पृथ्वी राशि
पृथ्वी राशि के लोग ग्रह पर "धरती" से जुड़े हुए होते हैं और वे हमें व्यवहारिक बनाते हैं। वे ज्यादातर रूढ़िवादी और यथार्थवादी होते हैं, लेकिन साथ ही वे बहुत भावुक भी हो सकते हैं। उन्हें विलासिता और भौतिक वस्तुओं से प्यार होता है। वे व्यावहारिक, वफादार और स्थिर होते हैं और वे कठिन समय में अपने लोगों का पूरा साथ देते हैं। पृथ्वी राशियाँ हैं: वृष, कन्या औरमकर।

वायु राशि
वायु राशि के लोग अन्य लोगों के साथ संवाद करने और संबंध बनाने वाले होते हैं। वे मित्रवत्, बौद्धिक, मिलनसार, विचारक, और विश्लेषणात्मक लोग हैं। वे दार्शनिक विचार विमर्श, सामाजिक समारोह और अच्छी पुस्तकें पसंद करते हैं। सलाह देने में उन्हें आनंद आता है, लेकिन वे बहुत सतही भी हो सकती है। वायु राशियाँ हैं: मिथुन, तुला और कुंभ।

ज्योतिष में कोई भी असंगत राशि नहीं होती जिसका अर्थ है कि कोई भी दो राशि अधिक या कम संगत होती हैं। जिन दो लोगों की राशियों में अत्यधिक संगतता होती है, वे सरलता से निर्वाह करेंगे क्योंकि उनकी प्रवृति एक समान है। परंतु, ऐसे लोग जिनकी राशियों में संगतता कम होती हैं, उन्हें एक खुश और सौहार्दपूर्ण संबंध हासिल करने के क्रम में अधिक धैर्यवान एवं विनम्र बने रहने की आवश्यकता होगी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं, राशियाँ चार तत्वों से संबंधित हैं:
अग्नि: मेष, सिंह, धनु
पृथ्वी: वृष, कन्या, मकर
वायु: मिथुन, तुला, कुंभ
जल: कर्क, वृश्चिक, मीन,

राशियाँ जिनके तत्व एक समान हैं, स्वाभाविक रूप से उनमें संगतता होती है क्योंकि वे एक दूसरे को सबसे बेहतर समझते हैं। ज्योतिष की एक शाखा काम ज्योतिष है जहाँ राशियों के बीच प्रेम संबंध की गुणवत्ता जानने के लिए दो जातक कुंडलियों में तुलना करते हैं। काम ज्योतिष या एक लग्न राशिफल उन जातकों के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, जो अपने रिश्ते में शक्तियों और कमजोरियों का पता लगाना चाहते हैं। राशियों की तुलना करना जीवनसाथी को बेहतर समझ पाने में भी मदद कर सकता है, जिसका परिणाम एक बेहतर संबंध के रूप में होगा।

Astrology and Court Case

*कोर्ट केश और ज्योतिष*

अक्सर मनुष्य को अपने कारणो से न्याय के लिये जाना पडता है,न्याय भी प्रकृति के अनुसार ही मिलता है,अगर किसी को न्यायालय न्याय नही दे पाता है तो प्रकृति अपने द्वारा उसे सजा देती है,लेकिन किसी प्रकार का छल या फ़रेब करने के बाद न्याय ले लिया जावे तो वह न्याय नही बेईमानी कही जाती है,प्रकृति ने न्याय के लिये जिन कारकों को नियुक्त किया है वे इस प्रकार से हैं

सप्तम स्थान प्रतिवादी का है======
लगन से या प्रश्न कुन्डली से सप्तम स्थान प्रतिवादी का होता है,अगर सप्तमेश किसी प्रकार से शक्तिशाली होता है तो प्रतिवादी की जीत होती है,और कमजोर रहने पर वह हार जाता है और वादी की जीत हो जाती है,सप्तमेश का असर जिन जिन राशियों या ग्रहों पर होता है वहीं पर प्रतिवादी अपना खराब असर देता है।

शनि केतु दोनो मिलकर वकील बनते है=====
न्यायालय में जाने के लिये वकील की जरूरत पडती है,शनि और केतु अगर अगर माफ़िक है तो वकील ठीक मिलता है,और शनि केतु ठीक नही है तो वकील भी परेशान करते है।

शनि न्यायालय का रूप बताता है=====
जन्म कुन्डली या प्रश्न कुन्डली से शनि का स्थान देखकर ही पता किया जाता है कि न्यायालय का क्षेत्र कैसा है,उच्च न्यायालय के लिये शनि की उच्चता और नीचे के न्यायालयों के लिये शनि के निम्न भावों में स्थिति देखकर पता किया जाता है।

जज गुरु होता है========
जन्म कुन्डली की या प्रश्न कुन्डली की स्थिति को देखकर पता किया जाता है कि गुरु किस भाव में है और गुरु पर किस किस ग्रह का असर जा रहा है,गुरु के ऊपर जिस ग्रह की नजर होती है जज उसी प्रकार का न्याय देता है,और गुरु जिस ग्रह को अपना असर देता ग्रह को उसी प्रकार से न्याय लिखना पडता है।

शनि बुध इतिहासिक न्याय कर्ता है========
कुन्डली में अगर किसी प्रकार से शनि और बुध की युति से न्याय लिखा जाता है तो वह इतिहासिक न्याय कहा जाता है,और उस न्याय के द्वारा अन्य लोगों को न्याय देने के लिये वकील या जज उस दिये गये न्याय का हवाला अदालत में देते हैं।

न्याय मिलने की अवधि शनि तय करता है=======
कर्म और फ़ल का दाता शनि न्याय के समय को निश्चित करता है,राहु वादी प्रतिवादी को भ्रमित करने के बाद न्यायालय में घुमाते रहते है,और वकील के लिये कमाई का साधन राहु ही करवाता है।

राहु का कार्य दो को लडाकर दूर बैठकर तमाशा देखना है====
दो व्यक्तियों को चुगली के द्वारा या अन्य कारण से राहु भ्रम में डाल देता है,उन भ्रमों के कारण दोनो एक दूसरे से पूंछे बिना ही या किसी प्रकार की राहु की हरकत से ग्रसित होकर एक दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते है,और कोर्ट केश या थाने अदालत के चक्कर लगा लगा कर बरबाद हुआ करते है।

शनि राहु की युति और मंगल की द्रिष्टि जेलखाना है=====
कुन्डली में शनि राहु की युति को अगर मंगल देखता है तो जेलखाना या नजरबंदी कहा जाता है,लेकिन किसी प्रकार की गुरु या सूर्य की युति जेलखाने के भाव को बदल कर रेलगाडी या वाहन की चलती फ़िरती केटरिंग में बद्ल देते है,यह भाव किसी प्रकार से केतु की उच्चता में गाडियों की रिपेयरिंग का स्थान भी बन जाता है।

द्वितीयेश धन तृतीयेश चैक षष्ठेश बैंक है=======
दूसरे भाव का मालिक नगद धन का मालिक है तीसरे भाव का मालिक चैक है और छठे भाव का मालिक बैंक है,तीसरे भाव को अगर अच्छा ग्रह देख रहा है तो चैक पास हो जाता है,और अगर कोई गलत ग्रह देख रहा है तो वह चैक अनादरित हो जाता है,उसी प्रकार से दूसरे भाव का मालिक अगर कमजोर है तो बैंक में धन नही है और चैक के द्वारा गलत तरीके से भुगतान किया जा रहा है,तीसरे भाव को राहु के देखने पर झूठा चैक दिया जा रहा है।

नवें भाव का राहु प्रतिवादी को झूठ बुलवाता है=====
नवां भाव प्रतिवादी के लिये तीसरा भाव बन जाता है,और राहु की सिफ़्त झूठ बोलने की होती है,इसलिये प्रतिवादी के अन्दर झूठ बोलने की कला आ जाती है,लेकिन गुरु अगर राहु के साथ है तो गुरुचान्डाल योग बनने से जज को झूठी बात पर भी यकीन हो जाता है और फ़ैसले में झूठे व्यक्ति का फ़ायदा हो जाता है,लेकिन राहु के गोचर में मंगल के साथ पहुंचते ही झूठ से पर्दा उठ जाता है,तथा झूठे तरीके से जीते गये केश का असर अचानक मौत या किसी प्रकार के भयंकर हादसे के रूप में सामने आता है,अथवा झूठी बात या गवाही देने वाले के लिये किसी न मिटने वाली बीमारी के पैदा होने के कारण उसे पूरी सजा जो मिलनी थी वह मिलती है,तथा जो नुकसान झूठी बात या गवाही देने के कारण वादी को हुआ था उसे किसी अन्य मद के जरिये उसकी क्षति पूर्ति हो जाती है,यही प्रकृति का न्याय बोला है,और जज को हर फ़ैसले में Natural Law के बारे में सोचना पडता है।