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Monday, May 27, 2019

What to do and not to do during "Panchak "

पंचक, उस के प्रकार और निषिद्ध कर्म


धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही पांच नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक 5 प्रकार के होते हैं जो निम्न प्रकार से है।

रोग पंचक : रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

राज पंचक : सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

अग्नि पंचक : मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।

मृत्यु पंचक : शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

चोर पंचक : शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।


विशेष – इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

पंचक में न करें ये 5 काम


पंचक में चारपाई बनवाना अच्छा नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो, उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।

पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।

पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।

पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।


ये शुभ कार्य कर सकते हैं पंचक में

पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं।

पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

 पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है।

Thursday, March 7, 2019

दिशा दोष- Disha Dosha and Remedy

👉 *ईशान दिशा दोष*
> ईशान कोण वास्तु पुरुष का मस्तिष्क होता है अत: इस कोण के दोषों का निवारण करने से घर के वास्तु दोषों का अधिकांशत: निवारण हो जाता है -
> ईशान क्षेत्र की उत्तरी या पूर्वी दीवार कटी हो तो उस कटे हुये भाग पर एक बड़ा शीशा लगाना चाहिए, इससे भवन का ईशान क्षेत्र प्रतीकात्मक रूप से बढ़ जाता है ।
> ईशान कोण यदि कटा हो तो ईशान कोण की दीवार पर बृहस्पतिदेव, अपने गुरु या ब्रह्नाा जी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए ।
> साधु पुरुषो को बेसन से बनी बर्फी या लड्डू का प्रसाद बाँटना चाहिए ।
> चीनी मिटी के पात्र में जल में फूलो की पखुड़िया डालकर रखे ।
> ईशान कोण की दिवार पर भोजन की तलाश में उड़ते हुए पक्षियों का चित्र लगाना चाहिए, परिवार के आलसी सदस्य कर्मशील  जायेंगे ।
> ईशान कोण में विधि पूर्वक बर्हस्पति यंत्र की स्थापना करनी चाहिए ।

       👉 *पूर्व दिशा दोष*
> यदि पूर्व दिशा कटी हो तो पूर्व की दिवार पर एक बड़ा शीशा लगाना चाहिए
> घर की पूर्व दिशा में सात घोड़ो पर सवार सूर्य देव का चित्र लगाना चाहिए ।
> सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र सात बार उच्चारण करके सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए
> यदि पूर्व दिशा में खिड़की न हो तो पूर्व दिशा में एक दीपक रोज जलाना चाहिए
>   पूर्व दिशा में लाल पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए इससे दिशा दोष समाप्त होता है
> पूर्व दिशा  सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए ।

     👉 *आग्नेय दिशा दोष*
> इस दिशा में लाल रंग एक बल्ब या एक दीपक इस प्रकार से जलाये की वह लगभग एक प्रहर (तीन घंटे )  जलता रहे ।
> गणेश जी की मूर्ति  तस्वीर स्थापित करे ।
> इस दिशा में मनीप्लांट लगाये । सूरजमुखी फूल , पालक , तुलसी, गाजर तथा अदरक , हरी मिर्च मेथी , हल्दी, पुदीना, करी पत्ता आदि उगाय ।
> इस दिशा का दोष करने लिए रेशमी परिधान, वस्त्र सौंदर्य की वस्तुए घर की स्त्रियों को देकर प्रसन्न रखे ।
> इस दिशा में शुक्र यंत्र लगाना चाहिए।

  👉 *दक्षिण दिशा दोष*
> घर का भारी से भारी सामान इस दिशा में रखे।
> मंगल ग्रह के मंत्रो का दान करे।
> इस दक्षिण दिशा की दिवार पर लाल रंग का हनुमान जी का चित्र लगाये।
> दक्षिण दिशा दिवार पर मंगल यंत्र की स्थापना करे।
> यदि इस क्षेत्र खाली जगह हो तो पेड़ गमले होने चाहिए।

 👉 *नेत्रत्य दिशा का दोष*
>भरी मुर्तिया इस दिशा में रखे।
> वाणी पर नियन्त्र रखे।
> राहु के मंत्रो का जाप इस दिशा में करे।
> चांदी,सोने,या ताम्बे के सिक्के या नाग -नागिन के जोड़े की पूजा करे तथा इसे नेत्रत्य कोण की दिशा में दबा दे। राहु यंत्र की स्थापना करे।

   👉 *पश्चिम दिशा दोष*
>पानी का फवारा लगाना चाहिए।
> पश्चिम दिशा में शनि यंत्र की स्थापना करे।
> स्थापना के समय प्रार्थना करके शुभ कार्य करे।
> इस दिशा को ऊँचा रखे,इस दिशा को वर्गाकार या आयताकार रखे।
> भारी पोधे लगाये।

      👉 *वायव्य दिशा दोष*

>इस दिशा में मारुतिदेव की तस्वीर लगाये। हनुमानजी की तस्वीर भी लगा सकते है।
> यदि खुला स्थान हो तो ऐसे वृक्ष लगाये जिसके पत्ते मोटे हो।
> वायु देव या चन्द्र देव के के मंत्रो का जाप करे।
> ताज़ा फूलो का गमला लगाये
> माँ का आदर करे तथा चरण छूकर आशीर्वाद ले।
> सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाये।
> चन्द्र यंत्र की स्थापना करे।

  👉 *उत्तर दिशा दोष*
>उत्तर दिशा में बड़ा आदमकद शीशा लगाये।
> हरे रंग का हल्का पेंट करवाये।
> लक्ष्मी माता की मूर्ति लगाये।
> बुध यंत्र की स्थापना करे।
> विद्यार्थियों को अध्यन सामग्री दान करे।
> इस दिवार पर हरे तोते की फोटो लगाने से पढ़ाई में कमज़ोर बच्चो को फायदा मिलता है।