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Sunday, October 21, 2018

Gaja Kesari Yoga in all Ascendants

गजकेसरी योग

#ज्योतिष में  अनेक प्रकार के योगों का उल्लेख मिलता है। उसी में से एक योग है गजकेसरी योग। यह योग मूलतः बृहस्पति और चन्द्रमा के संयोग से बनता है। गज का अर्थ है हाथी और केसरी मतलब सिंह। जिस प्रकार से गज और सिंह में अपार साहस, शक्ति होती है उसी प्रकार से जन्मकुण्डली में गजकेसरी योग होने से व्यक्ति साहस व सूझबूझ के दम पर, उच्च पद व प्रतिष्ठा प्राप्त कर सामाज में सम्मानीय होता है #आज_हम_आपको कुण्डली की लग्न के अनुसार बनने वाले गजकेसरी योग के फल के बारें में बता रहें है ।

(1)मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल का गुरू व चन्द्रमा दोनों से सम्बन्ध अच्छा रहता है। इस राशि में गजकेसरी योग बनने से जातक साहसी व तर्कशील होता है। शत्रुओं पर विजय पाता है एंव वाद-विवाद में उसे महारथ हासिल होती है। गुरू महत्वाकांक्षा और राजनीति से जुड़ा ग्रह है, इसलिए मेष राशि वालों को गजकेसरी योग राजनीति में भी सफलता दिलाता है। आप कठोर निर्णय लेने में हिचकेंगे नहीं। धन की पर्याप्त मात्रा रहती है ।

(2)वृष
इस लग्न का स्वामी शुक्र होता है एंव चन्द्रमा तृतीयेश व गुरू अष्टमेश तथा लाभेश होता है। इस लग्न में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति को धार्मिक कार्याे में रूचि, स्वभाव में सह्रदयता, परोपकार की भावना मन में विद्यमान रहती है। गुरू अगर अच्छी स्थिति में अचानक धन का लाभ एंव भूमि आदि मिल सकती है। चन्द्रमा पराक्रमेश होने के कारण आप-अपने बलबूते पर सफलता प्राप्त करेंगे ।

(3)मिथुन
इस लग्न में चन्दमा द्वितीयेश है और गुरू सप्तमेश व दशमेश है। गुरू व चन्द्र की युति से बनने वाला गजकेसरी योग काफी लाभकारक सिद्ध होगा। ऐसे व्यक्ति दूसरों का हित करने वाले प्रतिभाशाली होते है। गुरू दशमेश होकर अगर अच्छी पोजीशन में बैठा है तो मिथुन लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग राजनीति के क्षेत्र में सफलता दिलाता है ।

(4) कर्क
जब कर्क लग्न की कुण्डली में गजकेसरी योग का निर्माण होता है तो जातक विद्वान होता है। ऐसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाता है, वहॉ लोकप्रिय हो जाता है। संस्कारों से जुड़े ऐसे जातक अपनों को साथ लेकर चलने में विश्वास करते है। ये लोग सत्य का साथ देने में विश्वास करते है। इनकी लगभग हर मनोकामनायें पूर्ण होती है।

(5)सिंह
सिंह लग्न की कुण्डली में बनने वाला गजकेसरी योग बहुत ही फलदायक होता है। यह योग सिंह के समान शक्ति देने वाला होता है। शत्रुओं का नाश करता है, राज सुख दिलाता है, जीवन के प्रति आशावाना बनाता है, घूमने-फिरने का शौकीन बनाता है, प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ाता है। इस लग्न में जन्में व्यक्तियों को संसार की आसुरी शक्तियों से लड़ने का जज्बा मिलता है।

(6)कन्या
इस लग्न में जन्में जातकों के लिए भी गजकेसरी योग लाभकारी सिद्ध होता है। जिनकी कुण्डलियों में गजकेसरी होता है, उनमें निर्भीकता, बौद्धिकता, साहस, धार्मिकता, सामाजिकता व न्यायप्रियता आदि होती है। गुरू चतुर्थेश व सप्तमेश होता है और चन्द्रमा लाभ भाव का मालिक होता है। जिस कारण कन्या लग्न में बनने वाले गजकेसरी योग का युवा अवस्था में फल मिलने की सम्भावना रहती है।

(7) तुला
तुला लग्न की कुण्डली में गुरू तृतीयेश व षष्ठेश होता है एंव चन्द्रमा दशम भाव का मालिक होता है। इसलिए इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग मिला-जुला फल देने वाला होता है। यह व्यक्ति अपने जन्म निवास दूर-दराज प्रदेश या विदेश में जाकर धन कमाता है। जातक स्वभाव से जिद्दी व तानाशाही प्रकृति का होता है।

(8) वृश्चिक
इस लग्न में गजकेसरी योग बनने से व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में कुशल होता है एवं अपनी जुबान का पक्का होता है। साहसी कार्यो में विजय हासिल करता है। ऐसे जातक पुलिस, मेडिकल, आर्मी, वायुसेना आदि क्षेत्रों में उॅचा मुकाम हासिल करता है। ये लोग अपनी सूझबूझ के कारण काफी चर्चित रहते है।

(9) धनु
धनु राशि का स्वामी गुरू ग्रह होता है। गजकेसरी योग में गुरू की अहम भूमिका होती है। अतः इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होता है, लेकिन यदि गुरू बलवान अवसथा में हो तभी पूर्ण फल मिल पायेगा। ऐसा व्यक्ति धार्मिक कार्यो में लिप्त रहने वाला होता है। शिक्षा के क्षेत्र में ये लोग अच्छी प्रगति करते है।

(10) मकर
मकर लग्न का स्वामी शनि ग्रह है। शनि और गुरू की आपस में अच्छी मित्रता है। जिस कारण इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग काफी फलदायक माना जाता है। शनि एक नाकारात्मक ग्रह है जिसका अधिक असर इस लग्न में रहता है। यदि इस लग्न की कुण्डली में शनि और गुरू दोनों बलवान है तो इस योग बेहतर फल मिलेगा अन्यथा सामान्य फल मिलेगा।

(11) कुम्भ
इस लग्न की कुण्डली में बनने वाले गजकेसरी योग का भी अच्छा फल मिलता है। यह भी शनि की राशि है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया वाली स्थिति बनी रहती है। मित्रों के सहयोग से बड़े कामों में सफलता मिलती है। सोंचे हुये कार्य पूर्ण होते है किन्तु समय लगता है।

(12)मीन
मीन राशि बृहस्पति की राशि है। इसलिए इस लग्न में बनने वाला गजकेसरी योग सफलता दिलाने में पूरा सहयोग करता है। ऐसा व्यक्ति धर्म का जानकार होता है, शिक्षा देने वाला गुरू व सामाज की सेवा व एक सही मार्ग दिखाने वाला समाज सुधारक होता है। इस योग वाले व्यक्ति सम्मान व प्रतिष्ठा के भूखे रहते है। समाज की इनकी हर बात को काफी तवज्जो देता है ।

ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को अत्यन्त लाभकारी बताया गया है। इसके अनुसार कुंडली में यह योग बनने से जातक मालामाल हो जाता है। जातक को अपने जीवन में अद्वितीय सफलता मिलती है और उसका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाता है। बता दें कि कुंडली में गजकेसरी योग बृहस्तपति ग्रह की कृपा से बनता है।

इस प्रकार से जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की दशा सही होती है, उसके जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है। बृहस्पति को शत्रुओं का नाश करने वाला बताया गया है। ऐसे में बृहस्पति की कृपा से गजकेसरी योग बनने से व्यक्ति को उसके शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उसे समाज में सम्मान मिलता है।

बता दें कि गजकेसरी योग को सबसे प्रभावशाली राजयोग कहा जाता है। और यह योग उनकी कुंडली में बनता है जिनमें बृहस्पति की प्रधानता पाई जाती है। गजकेसरी योग तब बनता है, जब चंद्रमा और बृहस्पति दोनों एक-दूसरे के केन्द्र में होते हैं। इसके बनने से जातक को अनेकों लाभ मिलते हैं। लेकिन ऐसे जातकों को इस योग का लाभ लेने के लिए कुछ खास बातों पर ध्यान भी देना पड़ता है। ऐसे जातकों को अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए ।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में होने वाली तमाम बड़ी घटनाओं का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। इसलिए हम सभी को अपनी कुंडली के बृहस्पति ग्रह पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बता दें कि बृहस्पति को गुरु ग्रह भी कहा जाता है। इसका रंग पीला है और इसे धन से जुड़े कारकों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। बृहस्पति ग्रह का संबंध व्यक्ति की सेहत से भी है। बृहस्पति ग्रह की दशा खराब होने पर जातक को पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही व्यक्ति की उम्र भी घट सकती है ।

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