Google

Tuesday, February 16, 2021

Abroad travel and Moon

1- यदि चन्द्रमा कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है।

2- चन्द्रमा यदि कुंडली के छठे भाव में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
3- चन्द्रमा यदि दशवें भाव में हो या दशवें भाव पर चन्द्रमा की दृष्टि हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
4- चन्द्रमा यदि सप्तम भाव या लग्न में हो तो भी विदेश से जुड़कर व्यापार का योग बनता है।
5- शनि आजीविका का कारक है अतः कुंडली में शनि और चन्द्रमा का योग भी विदेश यात्रा या विदेश में आजीविका का योग बनाता है।
6- यदि कुंडली में दशमेश बारहवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी दशवें भाव में हो तो भी विदेश में या विदेश से जुड़कर काम करने का योग होता है।
7- यदि भाग्येश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी भाग्य स्थान (नवेंभाव) में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
8- यदि लग्नेश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
9-भाग्य स्थान में बैठा राहु भी विदेश यात्रा का योग बनाता है।
10- यदि सप्तमेश बारहवें भाव में हो और बारहवें भाव का स्वामी सातवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर व्यापार करने का योग बनता है।

शनि-चंद्र की युति आठवें भाव ( वृश्चिक राशि व अनुराधा नक्षत्र ) में शुभ दायक नहीं होता। विदेश यात्रा तो बिल्कुल सुखद नहीं होगा। 
दूसरे व बारहवें घर ( लग्न से ) के स्वामी का स्थान परिवर्तन, शुभ स्थान से बैठ आपस में दृष्टि परिवर्तन या शुभ संबंध भी विदेश यात्रा ( नौकरी या व्यापार के लिये ) का संकेत देता है।

No comments: