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Tuesday, December 22, 2020

Saturn in 7th House and Astrology

♦️सातवे भाव में स्थित शनि का विवाह पर प्रभाव👇🏼 
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जन्मकुंडली का सातवाँ भाव विवाह और वैवाहिक जीवन का भाव होता है।इस भाव से ही जातक/जातिका के वैवाहिक जीवन के बारे में विचार किया जाता है।ज्योतिष में जातक शब्द पुरुष और जातिका शब्द स्त्री के लिए बोला जाता है।
🔸सातवे भाव में बैठा शनि वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नही माना जाता।
🔸सातवे भाव का शनि विवाह होने में बहुत देर कराता है।सातवे भाव में बैठे शनि के कारण जातक/जातिका का विवाह सामान्य आयु से अधिक आयु में होता है।मकर और कुम्भ अपनी राशि के अतिरिक्त अन्य किसी भी राशि में सातवें भाव में शनि के होने से विवाह में देरी होती है।रिश्ते आते ही नही है आते भी है तो शादी की बात नही बन पाती।
🔸सप्तम भाव में शनि दिग्बल प्राप्त करता है जिस कारण इस भाव में यह बलि होता है फिर भी विवाह होने में देर कराता है।
🔸शनि यदि सातवे भाव में अपनी शत्रु राशि या नीचराशि मेष में बैठा हो तब यह विवाह होने में बहुत देर कराता है लगभग 32 से 35 या इससे भी ऊपर आयु निकल जाती है।ऐसी स्थिति में भी विवाह जब ही हो पाता है जब जातक/जातिका का सप्तमेश और जातक का पत्नी कारक शुक्र और जातिका का पति कारक गुरु शुभ और बलि स्थिति में हो।
🔸शनि के सप्तम भाव में अशुभ स्थिति में होने से तथा इसके साथ ही सप्तमेश और विवाह कारक गुरु/शुक्र की स्थिति कमजोर या पाप ग्रहो से दूषित होने पर विवाह होना मुश्किल होता है।
🔸शनि की सातवें भाव में अशुभ स्थिति के कारण विवाह भी नापसंद का होता है।
🔸शनि की सप्तम भाव में अशुभ स्थिति से लड़की को लड़का या तो अपनी आयु से काफी बड़ी आयु का मिलता है या अपनी आयु से छोटी आयु का मिलता है।लड़के की कुंडली में ऐसी स्थिति से लड़की लड़के से आयु में 1 से 3 साल बड़ी या अधिक आयु की भी होती है।
🔸शनि के सातवे भाव में होने पर विवाह होने के बाद भी वैवाहिक जीवन तब ही चल पाता है जब सप्तमेश और कारक ग्रह शुभ और बलवान हो या सप्तम भाव पर गुरु शुभभाव का स्वामी होकर बलि होकर अपनी दृष्टि डालता हो।
🔸सातवे भाव में शनि के साथ राहु केतु या मंगल हो तब विवाह होना असंभव होता है यदि ऐसी स्थिति में सप्तमेश और कारक ग्रहो के बलि या शुभ होने के कारण विवाह हो भी जाए तब विवाह अधिक दिन ठीक प्रकार से नही चलता दाम्पत्य जीवन पूरी तरह से दुःखमय हो जाता है।

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