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Tuesday, September 4, 2018

11th House and Astrology

11th House and Astrology

#परिचय
एकादश भाव को मुख्य रूप से लाभ स्थान कहा जाता है और जन्म कुंडली में पहले घर से 11 घर तक गिरने पर जो घर आता है वही एकादश भाव कहलाता है एकादश भाव को अन्य नाम से भी जाना जाता है जैसे आय,आगम ,सिद्धि
आप्ति, भव ,इलाघता, विभव इत्यादी।

#एकादश_भाव_और_काम_त्रिकोण
जैसा की हम सभी जानते हैं कि एकादश भाव काम त्रिकोण का तीसरा त्रिकोण होता है। क्योंकि काम त्रिकोण का पहला त्रिकोण तीसरा भाव और दूसरा त्रिकोण सातवां भाव कहा जाता है। अगर काम त्रिकोण को समझा जाए तो यहां पर पहला त्रिकोण अर्थात तीसरा भाव वीर्य होगा और दूसरा त्रिकोण अर्थात सप्तम भाव स्त्री होगा और जब वीर्य का स्त्री से मिलन होता है तो स्वयमेव ही तीसरे त्रिकोण अर्थात लाभ भाव की और इच्छा भाव की पूर्ति होती है यह चक्र इसी प्रकार से चलता रहता है । और और काम त्रिकोण के इसी आधार पर हमें संतान लाभ मिलता है स्त्री के द्वारा क्योंकि पंचम भाव हमारे लाभ भाव का समसप्तक होता है।

#एकादश_भाव_के_कारकत्व
एकादश भाव का मुख्य रुप से लाभ स्थान कहा जाने के कारण यह व्यक्ति को मिलने वाले सभी लाभ को दर्शाता है। लाभ का अर्थ उस अतिरिक्तता से है जो हमें किसी व्यक्ति विषय या वस्तु के प्रति किए गए कार्य के बाद प्राप्त होती है। एकादश भाव दैहिक संरचना में टांग की मांसपेशियों बाया कान टांगे घुटने से टखने तक के अंगों को प्रभावित करता है ।इसी प्रकार से एकादश भाव व्यक्तिगत स्तर पर प्रशंशक हितेषी समर्थकों प्रिय जनों सलाहकारों व दुश्मनों के दुश्मनों को भी दर्शाता है। वस्तुओं के संदर्भ में एकादश भाव तरल व रस युक्त भोजन , स्वर्ण आभूषण, सुंदर और उत्सव में पहनी जाने वाली पोशाक और कपड़ों को भी दर्शाता है। इसी के साथ एकादश भाव सरकारी कर्ज, बिजलीआपूर्ति, कृषि क्षेत्र ,दुर्लभ वस्तुओं का संग्रहालय दर्शाता है और राष्ट्रीय स्तर पर एकादश भाव संसद संविधान ,टैक्स वसूली ,नगर पालिका, प्रशासकीय नीति ,आर्थिक नीति ,और धन संग्रह के प्रयासों को दर्शाता है।
"भगवान शंकर के अनुसार एकादश भाव का संबंध बाया हाथ, टांग की पिंडलियों ,बाया पैर, हाथी-घोड़े ,रथ , रत्न व स्वर्ण आभूषण और विद्या प्राप्ति दामाद या पुत्रवधू से माना गया है ।"
"डॉक्टर रमन के अनुसार एकादश भाव को आय के साधन, उपलब्धि, मित्रों का सहयोग, अग्रज, रत्ना भूषण सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति पाने का भाव माना है।
"उत्तर कालामृत के अनुसार एकादश भाव को सभी प्रकार के लाभ, जेष्ठ भाई ,पिता के भाई-बहन, देव पूजा ,विद्या सोना तथा धन उपार्जन की क्षमता ,विशिष्ट पदवी, वस्त्राभूषण व रत्नों में प्रीति ,प्रज्ञा ,अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति, माता की आयु और चित्रकला में निपुणता व पिता के धन का संबंध एकादश भाव से माना है।

#भाव_भावात_के_नियम_से_एकदश_भाव

एकादश भाव दूसरे भाव से दशम होने के कारण हमारे धन,परिवार जनो व वाणी से होने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो हमारे कार्य क्षेत्र के अधीन आता हैं। जैसे - हमारे स्वयं के व्यापार अथवा बिजनेस या दुकान इत्यादि में लगाए गए पैसे से प्राप्त होने वाला लाभ एकादश भाव ही बताता है इसी प्रकार से हमारी वाणी द्वारा किए गए कार्य से होने वाला लाभ भी एकादश भाव ही बताता है इसी प्रकार हमारे परिवार जनो के कार्य से मिलने वाला लाभ भी एकादश भाव ही बताता है।

तीसरे भाव से नवम होने के कारण एकादश भाव हमारे बल, पराक्रम व छोटे भाई-बहनो से होने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो हमारे धर्म के अधीन आता है जैसे हमारे छोटे भाई बहन जब अपना धर्म हमारे अधीन निभाते हैं तो वह धर्म हमारा लाभ ही कहा जाता है क्योंकि उनका धर्म हमारी  सेवा होगा और सेवा से लाभ ही मिलता है। इसी प्रकार जब हम अपने साहस पराक्रम व बल के आधार पर कोई धर्म निभाते हैं तो वह हमें लाभ ही दिलाता है जैसे किसी बेसहारा निर्बल असहाय की सहायता अपने बल पराक्रम व साहस के आधार पर करना।

चौथे भाव से अष्टम होने के कारण एकादश भाव हमारी माता की मृत्यु को भी सूचित करता है साथ ही यह हमारी माता की मृत्यु के बाद मिलने वाले लाभ को भी दर्शाता है माता का जीवन बीमा। साथ ही यह हमारे घर तथा वाहनों से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो इनके नष्ट होने पर हमें मिलता है जैसे वाहन बीमा व मकान बीमा।

पंचम भाव से सप्तम होने का कारण एकादश भाव हमारी संतान से होने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो वैवाहिक संबंधों के अंतर्गत आता है जैसे संतान की शादी के बाद मिलने वाला लाभ। इसमें अगर पुत्रवधू हुई तो भी हमें लाभ मिलता है और अगर दामाद हुआ तो भी हमें लाभ ही मिलता है।

छठे भाव से छटा होने के कारण एकादश भाव हमारे उस लाभ को दर्शाता है जो हमारी शत्रुता के अन्तर्गत आता है जैसे अक्सर हमारे शत्रु का शत्रु हमें किसी व्यक्ति , विषय या वस्तु के लाभ का वादा करके कहता है कि इसे सबक सिखाओ मै आपके साथ हूँ ।

सप्तम भाव से पंचम होने के कारण एकादश भाव हमारी पत्नी से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो बुद्धि, शिक्षा व योजना के अंतर्गत आता है जैसे हमारी पत्नी की बुद्धि हमेशा हमारे लाभ के बारे में ही सोचती है इसी प्रकार अगर पत्नी शिक्षित है तो भी वह हमारे लिए एक लाभ ही साबित होता है।

अष्टम भाव से चतुर्थ होने के कारण एकादश भाव हमारी मृत्यू से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो सुख के अंतर्गत आते हैं।  जैसे अक्सर इंसान यही आशा रखता है की उसकी मृत्यु सुखपूर्वक हो जाए और अगर किसी इंसान की मृत्यु सुखपूर्वक होती है तो इससे बड़ा लाभ और कुछ नहीं हो सकता। इसी प्रकार एकादश भाव हमारी मृत्यु के समय मिलने वाले सुख को भी दर्शाता है क्योंकि एकादश भाव मृत्यु भाव का सुख स्थान होता है।

नवम भाव से तृतीय होने के कारण एकादश भाव हमारे पिता व धर्म से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो बल व पराक्रम के अंतर्गत आता है। जैसे अगर हमारा धर्म पक्ष बलवान है तो हमें उत्तम लाभ की प्राप्ति होती है । इसी प्रकार यदि हमारे पिता का पराक्रम व बल अच्छा है तो इससे अच्छा लाभ भी हमारे लिये कुछ नही । इसी प्रकार हमारे चाचा पक्ष से मिलने वाला लाभ भी एकादश भाव बताता है।  अर्थात एकादश भाव हमारे पिता के छोटे भाई बहनों को भी दर्शाता है।

दशम भाव से दूसरा होने के कारण एकादश भाव हमारे कार्य रोजगार स्थल से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो धन के अंतर्गत आता है जैसे नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह और रोजगार से मिलने वाला पैसा अथवा कार्यस्थल पर कमाया जाने वाला पैसा।

बारहवें भाव से 12 होने का कारण एकादश भाव हमारे खर्च से मिलने वाले उस लाभ को दर्शाता है जो खर्च के ही अन्तर्गत आता है। जैसे यदि हमारे खर्च,दरिद्रता ,दुखो का खर्च हो जाये अर्थात इन सभी मे न्यूनता आने लगे तो इससे बडा लाभ भी कुछ नही होता।

#एकादश_भाव_का_महत्व
एकादश भाव अर्थात लाभ भाव का हमारे जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि पूरा संसार लाभ के पीछे दौड़ता है हर कोई सोचता कि मुझे लाभ मिल जाएं हर क्षेत्र में । लाभ अगर देखा जाए तो यह उन्नति और विकास का समानार्थी शब्द है अर्थात हम यह भी कह सकते हैं कि उन्नति और विकास के आधार पर ही जीवन चलता है जहां उन्नति और विकास नहीं वहां पर जीवन की आशा नहीं रखनी चाहिए।

#एकादश_भाव_और_निष्कर्ष
हमारे महर्षियों के अनुसार एकादश भाव को लाभ स्थान कहा गया है और इस भाव में स्थित ग्रह या एकादशेश अपनी दशा अंतर्दशा में लाभ की वृद्धि करता है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार इसे मूल्य वृद्धि भाव भी कहा जाता है और इस भाव से संबंध रखने पर अगर कोई भी ग्रह जातक को उन्नति और विकास की ओर ले जाने में समर्थ होता है।
लाभ स्थान पर पाप ग्रहों का प्रभाव जातक को गलत संगत या गलत आदमियों से दोस्ती रखने के कारण संकट या परेशानी में भी डाल देता है।
एकादशेश की दशा में शनि मंगल सूर्य राहु ग्रहों की अंतरदशा अक्सर प्रतिकूल परिणाम दिया करती है।
एकादश भाव के स्वामी के संबंध में अगर देखा जाए तो इसकी रक्षा अलग अलग तरीकों से धन का लाभ तो कराती है किंतु शारीरिक पीड़ा मानसिक पीड़ा भी अवश्य दिया करती है इसी कारण एकादश भाव को महर्षि पराशर ने त्रिषडाय अर्थात (3,6, 11) भाव में से एक भाव मानकर दोषपूर्ण तथा निंदित भाव की संज्ञा दी है।

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