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Saturday, April 14, 2018

When will i buy Property / House / Land ? 4th house and Property, House, Land, Flat in Astrology


मकान और प्रॉपर्टी सुख के लिये कुण्डली का चतुर्थ भाव से मंगल का संबंध होना जरूरी है।
एक अच्छा घर बनाने की इच्छा हर व्यक्ति के जीवन की चाहत होती है. व्यक्ति किसी ना किसी तरह से जोड़-तोड़ कर के घर बनाने के लिए प्रयास करता ही है.
कुछ ऐसे  व्यक्ति भी होते हैं जो जीवन भर प्रयास करते हैं लेकिन किन्हीं कारणो से अपना घर फिर भी नहीं बना पाते हैं. कुछ ऎसे भी होते हैं जिन्हें संपत्ति विरासत में मिलती है और वह स्वयं कुछ भी नहीं करते हैं.
बहुत से अपनी मेहनत से एक से अधिक संपत्ति बनाने में कामयाब हो जाते हैं. जन्म कुंडली के ऐसे कौन से योग हैं जो मकान अथवा भूमि अर्जित करने में सहायक होते हैं, देखे
स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव  (4 हाउस )का बली होना  आवश्यक होता है, तभी व्यक्ति अपना घर बना पाता है.
मंगल को भूमि का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए अपना मकान बनाने के लिए मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए.
मंगल का संबंध जब जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति अपने जीवन में कभी ना कभी खुद की प्रॉपर्टी अवश्य बनाता है.
मंगल यदि अकेला चतुर्थ भाव में स्थित हो तब अपनी प्रॉपर्टी होते हुए भी प्रॉपर्टी को लेकर कोई ना कोई विवाद भी बना रहता है.
मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण माना गया है. इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है और कुंडली में मकान बनने के योग मौजूद होते हैं तब व्यक्ति अपना घर बनाता है.
चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर शुभ ग्रहों का प्रभाव घर का सुख देता है.
चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर पाप व अशुभ ग्रहो का प्रभाव घर के सुख में कमी देता है और व्यक्ति अपना घर नही बना पाता है.
चतुर्थ भाव का संबंध एकादश से बनने पर व्यक्ति के एक से अधिक मकान हो सकते हैं. 11 हाउस मालिक एकादशेश यदि 4 हाउस चतुर्थ में स्थित हो तो इस भाव की वृद्धि करता है और एक से अधिक मकान होते हैं.
यदि चतुर्थेश, एकादश भाव में स्थित हो तब व्यक्ति की आजीविका का संबंध भूमि से बनता है.
कुंडली में यदि चतुर्थ का संबंध अष्टम से बन रहा हो तब संपत्ति मिलने में अड़चने हो सकती हैं.
जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति का संबंध अष्टम भाव से बन रहा हो तब पैतृक संपत्ति मिलने के योग बनते हैं.
चतुर्थ, अष्टम व एकादश का संबंध बनने पर व्यक्ति जीवन में अपनी संपत्ति अवश्य बनाता है और हो सकता है कि वह अपने मित्रों के सहयोग से मकान बनाएं.
चतुर्थ का संबंध बारहवें से बन रहा हो तब व्यक्ति घर से दूर जाकर अपना मकान बना सकता है या विदेश में अपना घर बना सकता है.
जो योग जन्म कुंडली में दिखते हैं वही योग बली अवस्था में नवांश में भी मौजूद होने चाहिए.
भूमि से संबंधित सभी योग चतुर्थांश कुंडली में भी मिलने आवश्यक हैं.
चतुर्थांश कुंडली का लग्न/लग्नेश, चतुर्थ भाव/चतुर्थेश व मंगल की स्थिति का आंकलन करना चाहिए. यदि यह सब बली हैं तब व्यक्ति मकान बनाने में सफल रहता है.
मकान अथवा भूमि से संबंधित सभी योगो का आंकलन जन्म कुंडली, नवांश कुंडली व चतुर्थांश कुंडली में भी देखा जाता है. यदि तीनों में ही बली योग हैं तब बिना किसी के रुकावटों के घर बन जाता है. जितने बली योग होगें उतना अच्छा घर और योग जितने कमजोर होते जाएंगे, घर बनाने में उतनी ही अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
जन्म कुंडली में यदि चतुर्थ भाव पर अशुभ शनि का प्रभाव आ रहा हो तब व्यक्ति घर के सुख से वंचित रह सकता है. उसका अपना घर होते भी उसमें नही रह पाएगा अथवा जीवन में एक स्थान पर टिक कर नही रह पाएगा. बहुत ज्यादा घर बदल सकता है.
चतुर्थ भाव का संबंध छठे भाव से बन रहा हो तब व्यक्ति को जमीन से संबंधित कोर्ट-केस आदि का सामना भी करना पड़ सकता है.
वर्तमान समय में चतुर्थ भाव का संबंध छठे भाव से बनने पर व्यक्ति बैंक से लोन लेकर या किसी अन्य स्थान से लोन लेकर घर बनाता है.6 हाउस बेंक लोन का भी है
चतुर्थ भाव का संबंध यदि दूसरे भाव से बन रहा हो तब व्यक्ति को अपनी माता की ओर से भूमि लाभ होता है.
चतुर्थ का संबंध नवम से बन रहा हो तब व्यक्ति को अपने पिता से भूमि लाभ हो सकता है.
बाकी इसके साथ ही 4 हाउस इसके मालिक की स्थिति और इससे जुड़ने वाले ग्रह का स्थिति आकलन  व शनि मंगल का दशा अन्तर में आना प्रॉपर्टी सुख दिखलाता है
ग्रह बाधा के पूर्व संकेत
ग्रह अपना शुभाशुभ प्रभाव गोचर एवं दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यन्तर्दशा में देते हैं।जिस ग्रह की दशा के प्रभाव में हम होते हैं, उसकी स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल हमें मिलता है ।जब भी कोई ग्रह अपना शुभ या अशुभ फल प्रबल रुप में देने वाला होता है, तो वह कुछ संकेत पहले से ही देने लगता है । ऐसे ही कुछ पूर्व संकेतों का विवरण यहाँ दृष्टव्य है।
**सूर्य के अशुभ होने के पूर्व संकेत -
> सूर्य अशुभ फल देने वाला हो, तो घर में रोशनी देने वाली वस्तुएँ नष्ट होंगी या प्रकाश का स्रोत बंद होगा । जैसे – जलते हुए बल्ब का फ्यूज होना, तांबे की वस्तु खोना ।
> किसी ऐसे स्थान पर स्थित रोशनदान का बन्द होना, जिससे सूर्योदय से दोपहर तक सूर्य का प्रकाश प्रवेश करता हो । ऐसे रोशनदान के बन्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं । जैसे – अनजाने में उसमें कोई सामान भर देना या किसी पक्षी के घोंसला बना लेने के कारण उसका बन्द हो जाना आदि ।
> सूर्य के कारकत्व से जुड़े विषयों के बारे में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । सूर्य जन्म-कुण्डली में जिस भाव में होता है, उस भाव से जुड़े फलों की हानि करता है । यदि सूर्य पंचमेश, नवमेश हो तो पुत्र एवं पिता को कष्ट देता है । सूर्य लग्नेश हो,तो जातक को सिरदर्द, ज्वर एवं पित्त रोगों से पीड़ा मिलती है । मान-प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना पड़ता है ।
> किसी अधिकारी वर्ग से तनाव, राज्य-पक्ष से परेशानी ।
> यदि न्यायालय में विवाद चल रहा हो, तो प्रतिकूल परिणाम ।
> शरीर के जोड़ों में अकड़न तथा दर्द ।
> किसी कारण से फसल का सूख जाना ।
> व्यक्ति के मुँह में अक्सर थूक आने लगता है तथा उसे बार-बार थूकना पड़ता है ।
> सिर किसी वस्तु से टकरा जाता है ।
> तेज धूप में चलना या खड़े रहना पड़ता है
**चन्द्र के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> जातक की कोई चाँदी की अंगुठी या अन्य आभूषण खो जाता है या जातक मोती पहने हो, तो खो
जाता है ।
> जातक के पास एकदम सफेद तथा सुन्दर वस्त्र हो वह अचानक फट जाता है या खो जाता है या उस पर कोई गहरा धब्बा लगने से उसकी शोभा चली जाती है।
> व्यक्ति के घर में पानी की टंकी लीक होने लगती है या नल आदि जल स्रोत के खराब होने पर वहाँ से पानी व्यर्थ बहने लगता है । पानी का घड़ा अचानक टूट जाता है ।
> घर में कहीं न कहीं व्यर्थ जल एकत्रित हो जाता है तथा दुर्गन्ध देने लगता है ।
उक्त संकेतों से निम्नलिखित विषयों में अशुभ फल दे सकते हैं ->
> माता को शारीरिक कष्ट हो सकता है या अन्य किसी प्रकार से परेशानी का सामना करना पड़
सकता है ।
> नवजात कन्या संतान को किसी प्रकार से पीड़ा हो सकती है ।
> मानसिक रुप से जातक बहुत परेशानी का अनुभव करता है ।
> किसी महिला से वाद-विवाद हो सकता है ।
> जल से जुड़े रोग एवं कफ रोगों से पीड़ा हो सकती है । जैसे – जलोदर, जुकाम, खाँसी, नजला, हेजा आदि ।
> प्रेम-प्रसंग में भावनात्मक आघात लगता है ।
> समाज में अपयश का सामना करना पड़ता है । मन में बहुत अशान्ति होती है ।
> घर का पालतु पशु मर सकता है ।
> घर में सफेद रंग वाली खाने-पीने की वस्तुओं की कमी हो जाती है या उनका नुकसान होता है । जैसे– दूध का उफन जाना ।
> मानसिक रुप से असामान्य स्थिति हो जाती है
**मंगल के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> भूमि का कोई भाग या सम्पत्ति का कोई भाग टूट-फूट जाता है ।
> घर के किसी कोने में या स्थान में आग लग जाती है ।यह छोटे स्तर पर ही होती है ।
> किसी लाल रंग की वस्तु या अन्य किसी प्रकार से मंगल के कारकत्त्व वाली वस्तु खो जाती है या नष्ट हो जाती है।
> घर के किसी भाग का या ईंट का टूट जाना ।
> हवन की अग्नि का अचानक बन्द हो जाना ।
> अग्नि जलाने के अनेक प्रयास करने पर भी अग्नि का प्रज्वलित न होना या अचानक जलती हुई अग्नि का बन्द हो जाना ।
> वात-जन्य विकार अकारण ही शरीर में प्रकट होने लगना ।
> किसी प्रकार से छोटी-मोटी दुर्घटना हो सकती है ।
**बुध के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> व्यक्ति की विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है अर्थात् वह अच्छे-बुरे का निर्णय करने में असमर्थ रहता है ।
> सूँघने की शक्ति कम हो जाती है ।
>काम-भावना कम हो जाती है । त्वचा के संक्रमण रोग उत्पन्न होते हैं । पुस्तकें, परीक्षा ले कारण धन का अपव्यय होता है । शिक्षा में शिथिलता आती है ।
**गुरु के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> अच्छे कार्य के बाद भी अपयश मिलता है ।
> किसी भी प्रकार का आभूषण खो जाता है ।
> व्यक्ति के द्वारा पूज्य व्यक्ति या धार्मिक क्रियाओं का अनजाने में ही अपमान हो जाता है या कोई धर्म ग्रन्थ नष्ट होता है ।
> सिर के बाल कम होने लगते हैं अर्थात् व्यक्ति गंजा होने लगता है ।
> दिया हुआ वचन पूरा नहीं होता है तथा असत्य बोलना पड़ता है ।
**शुक्र के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> किसी प्रकार के त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे – दाद,खुजली आदि उत्पन्न होते हैं ।
> स्वप्नदोष, धातुक्षीणता आदि रोग प्रकट होने लगते हैं ।
> कामुक विचार हो जाते हैं ।
> किसी महिला से विवाद होता है ।
> हाथ या पैर का अंगुठा सुन्न या निष्क्रिय होने लगता है ।
**शनि के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> दिन में नींद सताने लगती है ।
> अकस्मात् ही किसी अपाहिज या अत्यन्त निर्धन और गन्दे व्यक्ति से वाद-विवाद हो जाता है ।
> मकान का कोई हिस्सा गिर जाता है ।
> लोहे से चोट आदि का आघात लगता है ।
> पालतू काला जानवर जैसे- काला कुत्ता, काली गाय, काली भैंस, काली बकरी या काला मुर्गा आदि मर जाता है ।
> निम्न-स्तरीय कार्य करने वाले व्यक्ति से झगड़ा या तनाव होता है ।
> व्यक्ति के हाथ से तेल फैल जाता है ।
> व्यक्ति के दाढ़ी-मूँछ एवं बाल बड़े हो जाते हैं ।
> कपड़ों पर कोई गन्दा पदार्थ गिरता है या धब्बा लगता है या साफ-सुथरे कपड़े पहनने की जगह गन्दे वस्त्र पहनने की स्थिति बनती है ।
> अँधेरे, गन्दे एवं घुटन भरी जगह में जाने का अवसर मिलता है ।
**राहु के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> मरा हुआ सर्प या छिपकली दिखाई देती है ।
> धुएँ में जाने या उससे गुजरने का अवसर मिलता है या व्यक्ति के पास ऐसे अनेक लोग एकत्रित हो जाते हैं, जो कि निरन्तर धूम्रपान करते हैं ।
> किसी नदी या पवित्र कुण्ड के समीप जाकर भी व्यक्ति स्नान नहीं करता ।
> पाला हुआ जानवर खो जाता है या मर जाता है ।
> याददाश्त कमजोर होने लगती है ।
> अकारण ही अनेक व्यक्ति आपके विरोध में खड़े होने लगते हैं ।
> हाथ के नाखुन विकृत होने लगते हैं ।
> मरे हुए पक्षी देखने को मिलते हैं ।
> बँधी हुई रस्सी टूट जाती है । मार्ग भटकने की स्थिति भी सामने आती है । व्यक्ति से कोई आवश्यक
चीज खो जाती है ।
**केतु के अशुभ होने के पूर्व संकेत-
> मुँह से अनायास ही अपशब्द निकल जाते हैं ।
> कोई मरणासन्न या पागल कुत्ता दिखायी देता है।
> घर में आकर कोई पक्षी प्राण-त्याग देता है ।
> अचानक अच्छी या बुरी खबरें सुनने को मिलती है ।
> हड्डियों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
> पैर का नाखून टूटता या खराब होने लगता है ।
> किसी स्थान पर गिरने एवं फिसलने की स्थिति बनती है ।
> भ्रम होने के कारण व्यक्ति से हास्यास्पद गलतियाँ होती।

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