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Saturday, April 7, 2018

Learn Ashtakavarga in very easy manner.

अष्टकवर्ग संक्षिप्त

 अष्टक-वर्ग से बलवान राशियाँ गोचर के ग्रहों का मार्ग सुगम बनाती है । ऐसे में - ग्रह सरलता से गोचर का फल करते हैं - अन्यथा फल दूषित हो जाता है । अष्टक-वर्ग - गोचर का एक अंग है - गोचर का एक उपकरण है । इसके अलावा उसका कहीं भी उपयोग नही है । अगर कहीं - विद्वान इसका कोई उपयोग करते भी हैं - तब भी ये बुनियादी उपकरण का ही फल देता है ।
आगे देखें --

•• सर्वाष्टक-वर्ग चक्र - अष्टक-वर्ग

•• 337 बिंदुओं का अष्टक वर्ग 12 राशियों में बंट जाता है । इसे सर्वाष्टक वर्ग चक्र कहते हैं ।
देखें आपकी कुंडली में लग्न से बारह भावों में कितने-कितने बिंदु हैं । फिर इसकी तुलना करें ।

•• अगर प्रथम भाव की तुलना में तृतीय भाव में अधिक बिंदु हैं तो आपका व्यक्तित्व अप्रभावशाली होगा । इसके विपरीत प्रभावशाली होगा ।
•• अगर प्रथम भाव की तुलना में अष्टम भाव में अधिक बिंदु हैं तो आपका शरीर अपुष्ट होगा । इसके विपरीत आपका शरीर पुष्ट होगा ।
•• अगर द्वितीय भाव की तुलना में तृतीय भाव में अधिक बिंदु है तो आप असत्यवादी होंगे । इसके विपरीत आप सत्यवादी होंगे ।
•• अगर द्वितीय भाव की तुलना में पंचम भाव में अधिक बिंदु हैं तो आप प्रखर वक्ता नहीं होंगे । इसके विपरीत आप प्रखर वक्ता होंगे ।
•• अगर तृतीय भाव की तुलना में सप्तम में अधिक बिंदु होंगे तो आप आक्रामक कामुकता से युक्त होंगे । इसके विपरीत आप सहज होंगे ।
•• अगर तृतीय भाव की तुलना में नवम भाव में अधिक बिंदु होंगे तो आप डरपोक होंगे । इसके विपरीत आप बहुत निडर होंगे ।
•• चतुर्थ भाव की तुलना में षष्ठ भाव में अधिक बिंदु हो तो आपको अपनों से सुख नहीं मिलेगा । इसके विपरीत आपको अपनों का सुख मिलेगा ।
•• चतुर्थ भाव की तुलना में एकादश भाव में अधिक बिंदु हो तो आपको साधारण वाहन सुख मिलेगा । इसके विपरीत आपको भरपूर वाहन सुख मिलेगा ।

नोट :- इनके साथ-साथ कथित भावों के कारक ग्रह भी बलवान हो तो फल में बढ़ोतरी हो सकती है ।

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