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Thursday, April 19, 2018

DASA IS NAKSHATRASWAMI BHUKTI IS SUBLORD AND ANTARA IS SUB SUB LORD OF TRANSITING PLANET - KP ASTROLOGY

DASA IS NAKSHATRASWAMI BHUKTI IS SUBLORD AND ANTARA IS SUB SUB LORD OF TRANSITING PLANET

कृष्ण मुर्ती उवाच
 कृष्ण मुर्तीजी ने अपने सभी कृष्णणमुर्ती रिडर्स में कई बार और बार बार बताया है कि,
 मेष राशी से मीन राशीतक प्रत्येतक राशी 30 अंश की है और 13 अंश 20 कला के 27 नक्षत्र है, प्रत्ये क नक्षत्र के फीर 4 भागों में विभाजन किया जाता है उसे हम नवमांश कहते है।  प्रत्येरक राशी में सव्वा  दो नक्षत्र याने की 13 अंश 20 कल, 13 अंश 20कला और 3 अंश 20 कला
 इसे हम राशीचक्र कहते है। इस राशी चक्र में जो नक्षत्र विभाग होते है उस के कारकत्वय उस नक्षत्र विभाग में गोचर करनेवाले ग्रहो के अनुसार बदलता रहता है। यह नक्षत्र विभाग पृथ्वीर के नजदीक होने के कारण इस का प्रभाव पृथ्वी वर रहनेवाले सभी मनुष्येगण तथा पेड पौधो के साथ पशु पक्षीयों पर भी होता है । जो ग्रह नक्षत्र तारे पृथ्वी  से बहोत दूर है उस का विचार करने की जरुरत नही है।
 भविष्यवकथन करते समय राशी, नक्षत्र, भाव, ग्रहों का नैसर्गिक कारकत्वन, उच्च‍, नीच, शत्रू,मित्र, स्वकगृह, मित्र गृह, शत्रू गृह, फलदायी, अफलदायी, होकारार्थी, नकारार्थी

यहॉं आप को पता चल जायेगा की, ग्रह अपने स्व राशी जीस भाव में होती है उन भावों का फल देते ही नही है, तो वो ग्रह जीस भाव का सब सब लॉर्ड होता है उस भाव का फल दर्शाता है। 
 समझीये, किसी जातक को शुक्र दशा शुरु है,
1.  शुक्र दशा शुक्र भुक्तीत में जातक की शादी होगी। विवाह का कारक शुक्र होता है इसलिए इस भुक्तीा में शादी होगी।  मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुकनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 13अंश 20 कला से 15 अंश  33 कला 20 विकला पर शुक्र का नक्षत्र शुक्र का उपनक्षत्र हाता है। जीसे हम शुक्र दशा शुक्र भुक्तील कहते है। जब भी रवी इस राशी अंश कला विकला से गोचर करता है उस समय शुक्र दशा शुक्र भुक्तीश होती है। रवी प्रतीवर्ष 27 एपिल से 29 एप्रिल,  27 ऑगष्टै  से 29 ऑगष्टु, 27 डिसेंबर से 29 डिसेंबर इस समय इस कला विकला पर से गोचर करता है। आपके कुंडली में जन्म2स्थट चंद्र के राशी अंश कला विकला के अनुसार जो भी विशोत्री क   दशाशुरु होगी लेकिन कोई भी ग्रह इस अंशकला विकला से गोचर करेगा   तो नक्षत्रस्वाकमी शुक्र और उपनक्षत्रस्वाशमी शुक्र याने की दशास्वाकमी शुक्र अंतर्दशास्वाकमी शुक्र होता है और इस समय में आप के कुंडली में शुक्र जीस भाव का उपनक्षत्रस्वाशमी या उपउप नक्षत्रस्वादमी है उन भावों का फल देनेवाला है। यहॉं आप को पता चल जायेगा की, ग्रह अपने स्वाराशी जीस भाव में होती है उन भावों का फल देते ही नही है, तो वो ग्रह जीस भाव का सब सब लॉर्ड होता है उस भाव का फल दर्शाता है। 

2. शुक्र दशा रवी भुक्तीह में जातक नया व्य्वसाय सुरु करता है। व्यसवसाय का प्रमुख कारक रवी होने के कारण जब किसी भी दशा में रवी की भुक्तीी होती है वह भुक्तीर नया व्य वसाय सुरु करने के लिए शुभ होता है।  मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुरनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 15 अंश 33 कला 20 विकला से 16 अंश 13 कला 20 विकला पर शुक्र का नक्षत्र रवी का उपनक्षत्र होता है। रवी प्रतीवर्ष 30 एप्रिल,  30 ऑगष्टल, 30 डिसेंबर इस समय इस कला विकला पर से गोचर करता है।

         यही परिणाम रवी दशा शुक्र भुक्तीष में भी मिलते है। वृषभ, कन्याव, मकर राशी में रवी का कृतिका, उत्तलराफाल्गुानी, उत्तीराषाढा नक्षत्र में 07 अंश 46 कला 40 विकला से 10 अंश तक रवी का नक्षत्र और शुक्र का उपनक्षत्र होता है।

3. शुक्र दशा चंद्र भुक्तीर में जातक परदेश गमन करता है। प्रवास तथा परदेशगमन का मुख्यी कारक चंद्र है। जब भी किसी भी दशा में चंद्र की भुक्तीम हो तो प्रवास यात्रा के लिए शुभ होता है। मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गु नी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 16 अंश 13 कला 20 विकला से 17 अंश 20 कला पे शुक् नक्षत्र चंद्र उपनक्षत्र होता है। इस राशी अंशकला विकला से रवी प्रतीवर्ष 1 मे, 1 सप्टें बर 1 जानेवारी को गोचर करताहै।

        यही परिणाम चंद्र दशा शुक्र अंतर्दशा में भी मिलते है। वृषभ, कन्या6, मकर राशी में रोहिणी,हस्ता, श्रवण नक्षत्र में 20 अंश 26 कला 40 विकला से 23 अंश 20 कला पे चंद्र नक्षत्र शुक्र उपनक्षत्र होता है। जीसे हम चंद्र दशा शुक्र भुक्तीु कहते है।


4. शुक्र दशा मंगल भुक्तीी में जातक को संतती लडका प्राप्तस हो गया ।  मंगल का प्रमुखकारकत्वम संतती और वह भी पुरुष संतती होती है। मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुवनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 17 अंश 20 कला से 18 अंश 06 कला 50 विकला पे शुक् नक्षत्र मंगल उपनक्षत्र होताहै । इस राशी अंशकला विकला से रवी प्रतीवर्ष 2 मे, 2 सप्टें बर, 2 जानेवारी को गोचर करता है।
यही परिणाम मंगल दशा शुक्र भुक्तीं में भी प्राप्ती होते है। मिथून, तुला, कुंभ  राशी में मृग चित्रा,धनिष्ठाष  नक्षत्र में 2 अंश 40 कला से 4 अंश 53 कला 20 विकला पे मंगल नक्षत्र शक्र उपनक्षत्र होता है। जीसे हम मंगल दशा शुक्र भुक्ती  कहते है।


5. शुक्र दशा गुरु भुक्तीं में जातक ने व्योवसाय की बढोतरी की और जातक को और एक संतती हो गयी। वृध्दीग का कारक गुरु है इसलिए व्यकवसाय में वृध्दी4 हो गयी और परिवार की भी वृध्दी  संतती प्राप्तीउ से हो गयी।   मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुदनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 20 अंश 6 कला 20 विकला से 21 अंश 53 कला 20 विकला पे शुक्र नक्षत्र गुरु उपनक्षत्र हाता है।  इस राशी अंश कला विकला पे रवी प्रतीवर्ष 5 मे, 5 सप्टेंशबर, 5 जानेवारी को गोचर करता है

        यही परिणाम गुरु दशा, शुक्र भुक्तीै में भी होते है। मिथून, तुला, कुंभ  राशी में पुनर्वसू, विशाखा, पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र में  26 अंश 33 कला 20 विकला से 28 अंश 46 कला 40 विकला पे गुरु नक्षत्र शुक्र उपनक्षत्र होता है जीसे हम गुरुदशा शुक्र भुक्तीश कहते है/

6. शुक्र दशा शनी भुक्तीश में जातक के व्य वसाय में कामगार संबंध में तकलीफ और थोडा नुकसान होगया।  कामगार नोकरी का प्रमुख कारण शनी है, जो भी मिलनेवाले होते है उस के कमी करना यह शनी का और एक प्रमुंख कारकत्वा यह है। मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुरनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 21 अंश 53 कला 20 विकला से 24 अंश 00 कला 00 विकला पे शुक्र नक्षत्र शनी उपनक्षत्र होता है। इस राशी अंश कला विकला पे रवी प्रतीवर्ष 6 मे से 8 मे, 6 सप्टेंषबर से 8 सप्टेंाबर, 6 जानेवारी से 8 जानेवारी तक गोचर करता है।

       यही परिणाम शनी दशा शुक्र भुक्तीम मं भी होते है। कर्क, वृश्चिक, मीन राशी में पुष्यन, अनुराधा, उत्तीराभाद्रपदा नक्षत्र में 8 अंश 6 कला 40 विकला से 10 अंश 20 कला 00 विकला पे शनी नक्षत्र, शुक्र उपनक्षत्र हाता है जीस हम शनी दशा शुक्र भुक्ती  कहते है। 

7. शुक्र दशा बुध भुक्ती  में जातक ने अपने व्यलवसाय की शाखाये निकाली। बुध का प्रमुख कारकत्वं द्वित्वल याने की डुएलीटी है। मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुखनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 24 अंश 00 कला 00 विकला से25 अंश 53 कला 20 विकला पे शुक्र नक्षत्र बुधउपनक्षत्र होता है।  इस राशी अंशकला विकला पे रवी प्रतीवर्ष 9 मे, 9 सप्टेंाबर, 9 जानेवारी तक गोचर करता है।

          यही  परिणाम बुध दशा शुक्र भुक्ती‍ में भी मिलते है।  कर्क, वृश्चिक, मीन राशी में आश्लेतषा, ज्ये,ष्ठाह, रेवती नक्षत्र में 19 अंश 20 कला 00 विकला से 21 अंश 33 कला 20 विकला पे बुध नक्षत्र, शुक्र उपनक्षत्र होता है जीसे हम बुधदशा, शुक्र भुक्तीक कहते है।

8. शुक्र दशा केतू भुक्तीु  में जातक ने कई तीर्थयात्रा की । केतू का प्रमुख कारकत्वा तीर्थक्षेत्र, तथा देवदेवताओं के मंदीर, मंदीर पे लहरनेवाला झंडा यह भी है। मेष, सिंह, धनू राशी में शुक्र के भरणी, पूर्वाफाल्गुदनी, पूर्वाषाढा नक्षत्र में 25 अंयर 53 कला 20 विकला से 26 अंश 40 कला 00 विकला पे शुक्र नक्षत्र केतू उपनक्षत्र होता है। इस राशी अंश कला विकला पे रवी प्रतीवर्ष 10 मे, 10 सप्टें।बर, 10 जानेवारी को गोचर करता है।

          यही परिणाम केतूदशा शुक्र भुक्तीै में भी मिलते है। मेष,सिंह, धनू राशी में केतू के अश्विनी, मघा, मूळ नक्षत्र में 00 अंश 46 कला 40 विकला से 3 अंश 00 कला 00 विकला पे केतू नक्षत्र शुक्र उपनक्षत्र होता है। जीसे हम केतू दशा शुक्र भुक्तीश भी कहते है।

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